पटना. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देशभर में हुए प्रदर्शन के खिलाफ भाजपा विपक्ष को जवाब देने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा नेता विभिन्न राज्यों में जाकर जनता को सीएए के बारे में जागरुक कर रहे हैं। इसी के तहत केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 16 जनवरी को बिहार आएंगे। वह वैशाली में जनसभा को संबोधित करेंगे।
चुनावी साल में शाह के इस दौरे को काफी अहम माना जा रहा है। अमित शाह न सिर्फ सीएए के पक्ष में जनता के बीच अपनी दलील देंगे बल्कि यह भी बताएंगे कि 2020 के चुनाव में लोग फिर से क्यों एनडीए को वोट दें। सीएए और एनआरसी पर सहयोगी दल होने के बावजूद जदयू का स्टैंड भाजपा से अलग है। जदयू सीएए का समर्थन तो करती है लेकिन एनआरसी के खिलाफ है। वहीं, बीजेपी नेता एनआरसी को देश के लिए जरूरी बताते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद कह चुके हैं बिहार में एनआरसी लागू नहीं करेंगे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार में आयोजित जनसभा में अमित शाह एनआरसी के मुद्दे पर क्या कुछ बोलते हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह का यह पहला बिहार दौरा है। पड़ोसी राज्य झारखंड में सत्ता जाने के बाद शाह के इस दौरे को काफी अहम माना जा रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले शाह के प्रदेश आगमन को लेकर जहां पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में नया जोश और स्फूर्ति आने की उम्मीद है, वहीं शाह अपने सहयोगी दलों को भी दोस्ती का पाठ पढ़ाने की कोशिश करेंगे। माना जा रहा है कि 15 जनवरी के बाद भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी तैयार होनी है, ऐसे में कहा जा रहा है कि शाह इस पर भी अपनी मुहर लगाएंगे। संजय जायसवाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से बिहार में भाजपा की कार्यकारिणी अब तक तैयार नहीं हो पाई है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कार्यकारिणी में इस बार कुछ नए चेहरों को जगह मिल सकती है। चुनावी साल में भाजपा कार्यकारिणी को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।