उन्होंने कहा है, “वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, वैचारिक लड़ाई हो सकती है, लेकिन व्यक्तिगत लांछन लगा देने और वो भी ऐसे समय में जब व्यक्ति जीवित नहीं है, ये ठीक नहीं है। हम विनती करते हैं कांग्रेस से कि वो पुस्तक को वापस ले और जिस लेखक ने उसे लिखा है उससे वो बात करे। इस तरह की चीजें आगे न हों वो यह सुनिश्चित करें।”
क्या है मामला?
इस बुकलेट में सावरकर के बारे में छपी टिप्पणियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी और शिव सेना के साथ-साथ विनायक सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने सख़्त आपत्ति की है।
शिवसेना की प्रतिक्रिया
भाजपा की प्रतिक्रिया
उन्होंने आगे कहा, “ये महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी के विचारों पर चलने वाली कांग्रेस नहीं है बल्कि ये वामपंथियों के विचारों पर चलने वाली कांग्रेस है। कोई वैचारिक बहस हो तो बात समझ में आती है लेकिन अश्लील, अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणियां करना न सिर्फ वीर सावरकर बल्कि सभी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है।”
कांग्रेस ने क्या कहा?
उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी उन्हें भले वीर कहे लेकिन यह सच है कि जब उन्होंने अंग्रेजों से क्षमा याचना की तब कहीं जाकर वो जेल से बाहर आए। सावरकर टू नेशन थ्योरी के सबसे बड़े समर्थक थे।” वहीं, आपत्तिजनक टिप्पणियों पर कांग्रेस का कहना है कि इस के बारे में सेवादल से बात की जाएगी।
पंकज चतुर्वेदी ने कहा, “इसके के बारे में सेवादल से पूछा जाएगा कि इसका सोर्स क्या है, कहां से उन्होंने ये चीजें ली हैं। क्योंकि कांग्रेस की संस्कृति किसी का अपमान करने की नहीं है और न ही हम किसी के प्रति अपत्तिजनक बातें करें।” बहरहाल इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के वजह से राज्य में कांग्रेस और भाजपा एक बार फिर आमने सामने आ गए हैं।