जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बने दो माह बीतने के बाद भी सरकारी कामकाज से राजभाषा हिंदी गायब है। सरकारी अधिसूचना या दस्तावेजों का आदान प्रदान तो दूर हिंदी में कोई वेबसाइट तक नहीं बनी है।
सरकार के कामकाज के मुख्य केंद्र नागरिक सचिवालय में ही हिंदी पूरी तरह से गायब है। मुख्य इमारत में हिंदी का कहीं कोई अक्षर तक नहीं है। साइन बोर्ड से लेकर प्रशासनिक अधिकारी हो या फिर सलाहकार या उपराज्यपाल की नेम प्लेट अंग्रेजी में ही दर्ज हैं।
अमर उजाला संवाददाता ने बुधवार को दोपहर से ढाई बजे तक नागरिक सचिवालय के विभिन्न सेक्शनों में जाकर देखा कि राजभाषा हिंदी में कहीं कोई काम नहीं हो रहा है। इस बारे में बात करने से भी अधिकारी परहेज कर रहे हैं।
नाम न छापने पर उन्होंने बस इतना बताया कि जैसे ही आदेश ऊपर से आएंगे उस पर अमलीजामा पहनाया जाएगा। ऐसे में फिलहाल सरकारी कामकाज अंग्रेजी में ही चल रहा है। उल्लेखनीय है कि 31 अक्तूबर 2019 को जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के साथ ही प्रदेश की आधिकारिक भाषा हिंदी हो गई थी।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 47 के मुताबिक नई विधानसभा का गठन होने के बाद नई सरकार किसी एक या इससे अधिक भाषाओं को प्रशासन के कामकाज की भाषा चुन सकेगी। ऐसी स्थिति में भी हिंदी के आधिकारिक भाषा के रूप में इस्तेमाल करने का विकल्प बना रहेगा।