चाको का दावा, कांग्रेस के बगैर नहीं बनेगी सरकार, जरूरत पड़ी तो चुनाव बाद आप से गठबंधन |

कांग्रेस के बगैर दिल्ली में सरकार नहीं बनने वाली। चुनाव त्रिकोणीय होगा। चुनाव परिणाम के बाद सरकार बनाने के लिए अगर समझौते की जरूरत पड़ी तो कांग्रेस आम आदमी पार्टी से गठबंधन कर सकती है। हालांकि चुनाव से पहले आप और कांग्रेस के बीच समझौते पर कोई चर्चा नहीं हुई है। कांग्रेस मानती है कि उसका वोट बैंक आप ले गई है। अब उसको वापस लाने के लिए ही पूरी राजनीतिक बिसात कांग्रेस ने बिछा ली है। दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियां पूरी हो चुकी है। दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको ने अमर उजाला के आशीष तिवारी से चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारी और रणनीति पर खुलकर बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश।

दिल्ली में चुनाव की तारीख कभी भी घोषित हो सकती है। तैयारियां हो गई हैं मैदान में उतरने की?

पूरी तरह से हम तैयार है और मजबूती से भी।

कैसे लड़ेंगे। क्या कांग्रेस का अंदरूनी झगड़ा खत्म हो गया?

कांग्रेस में कोई झगड़ा था ही नहीं कभी। कांग्रेस लोकतांत्रिक पार्टी हैं और उसी तरह से हमलोग अपनी बात रखते हैं। पूरा फोकस हमारा अब अपने खोए हुए वोट बैंक को पाने पर है।

कांग्रेस का खोया हुआ वोट बैंक तो आम आदमी पार्टी में चला गया। अब उनको वहां फ्री बिजली, पानी और महिलाओं को बसों में मुफ्त सवारी की सुविधा मिल रही है। उसको कैसे वापस लेंगे। बहुत बड़ा चैलेंज है।

कोई चैलेंज नहीं है। आप सरकार उनको सुविधाएं देने की बात तो कर रही है लेकिन कांग्रेस में आस्था रखने वाले वोटर वापस आ रहे हैं। जनता को पता है कि कांग्रेस बटवारे की राजनीति नहीं करती। सुविधाएं भी हम देंगे और पूर्णरूप से देंगे। दिल्ली लोकसभा चुनाव में हमारा बढ़ा हुआ वोट प्रतिशत गवाह है कि कांग्रेस वापसी कर रही है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की किससे लड़ाई है?

त्रिकोणीय मुकाबला है इस बार। कांग्रेस सभी सत्तर सीटों पर बहुत मजबूती से चुनाव लड़ेगी। हमारा मुकाबला कहीं भाजपा तो कहीं आम आदमी पार्टी से होगा। लेकिन सत्ता की चाभी कांग्रेस के पास ही होगी। बगैर कांग्रेस के दिल्ली में सरकार नहीं बनेगी।

बगैर कांग्रेस के तो महाराष्ट्र और झारखंड में भी सरकार नहीं बनी। वहां समझौते हुए हैं। तो मान लिया जाए कि दिल्ली में कांग्रेस आम आदमी पार्टी से गठबंधन करेगी।

चुनाव से पहले समझौते को लेकर आम आदमी पार्टी से बातचीत नहीं चल रही है। हां, परिणामों के बाद यह तय है कि कांग्रेस के बगैर दिल्ली में सरकार नहीं बनने वाली है। इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो आम आदमी पार्टी से समझौता किया जा सकता है। मैंने पहले भी कहा है कि कांग्रेस के बगैर दिल्ली की सरकार नहीं बनने वाली।

भाजपा ने अब तक कोई सीएम पद का चेहरा पेश नहीं किया है। क्या कांग्रेस भी बगैर सीएम फेस के मैदान में उतरेगी?

भाजपा अपने बुरे दौर से गुजर रही है दिल्ली में। वहां तो उनके नेता को लेकर ही संकट है। और रही बात कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर तो हमारा चुनाव संगठन के फेस पर लड़ा जाता है।

आम आदमी पार्टी के पास पांच साल के कार्यकाल और कराए गए काम तो भाजपा अनधिकृत कालोनियों को नियमित और एनआरसी से जैसे राष्ट्रव्यापी मुद्दे के साथ मैदान में है। कांग्रेस के क्या मुद्दे हैं।

एनआरसी मामले में तो भाजपा बहुत पीछे चली गई है। उनका कोई मुद्दा नहीं चलने वाला। रही बात कांग्रेस के मुद्दे की तो हम दिल्ली के विकास की बात सामने रख रहे हैं। आज जो भी दिल्ली में आप देख रहे हैं वह सब कांग्रेस की देन है। शीला दीक्षित के कार्यकाल में ही राजधानी के विकास की नींव रखी गई। हम विकास के मसले पर चुनाव मैदान में उतरेंगे।

दिल्ली कांग्रेस में आपको लेकर बहुत मतभेद रहे हैं। कई नेता आपको पसंद नहीं करते हैं। आपने भी पत्र लिखकर अपनी जिम्मेदारी छोड़ने की बात की थी। इसका असर चुनाव पर तो नहीं पड़ने वाला। 

नहीं,  ऐसा कुछ नहीं है। मैं तो व्यक्तिगत कारणों से वापस अपने राज्य केरल जाना चाहता था। मतभेद जैसा कुछ नहीं है। थोड़ा बहुत होता भी है तो उसका चुनाव पर कोई असर भी नहीं पड़ने वाला। हमारी पार्टी में हर कोई अपनी बात कह सकता है।

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