मप्र / 100 और 500 रु. के स्टाम्प पर राजीनामा पैसा लेकर लिखते थे-वीडियो अब खत्म |

भोपाल . हनी ट्रैप से जुड़े मानव तस्करी केस की चार्जशीट के पन्नों से कई खुलासे हो रहे हैं। जांच एजेंसी ने आरोपी आरती दयाल, श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन के घर की तलाशी में जो दस्तावेज बरामद किए हैं, उनमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला पेपर है ‘राजीनामा एग्रीमेंट’। यानी जिन अफसर-कारोबारियों को जाल में फंसाकर उनसे रकम वसूल ली जाती थी, उनसे बाकायदा एग्रीमेंट होता था कि अब यह वीडियो पूरी तरह खत्म हो गया है और भविष्य में कहीं भी सामने नहीं आएगा। जयपुर के व्यापारी राजेश गंगेले, आरती दयाल और मोनिका के बीच हुए ऐसा ही एक राजीनामा एग्रीमेंट पुलिस ने आरती के घर से बरामद किया है। इसके अलावा नरेश सीतलानी और रूपा अहिरवार के बीच हुए राजीनामे का अनुबंध पत्र भी पुलिस ने बरामद किया है। इसमें रूपा को पांच लाख रुपए मिले थे।

राजेश गंगेले और राकेश भाटला के बीच हुआ एक अनुबंध पत्र भी आरती के घर से मिला है। इसके अलावा भी कुछ कारोबारी और ब्यूरोक्रेट्स के साथ अनुबंध के दस्तावेज मिले हैं। हालांकि जांच एजेंसी इस पर चुप्पी साधे हुए है। एसआईटी चीफ राजेंद्र कुमार का कहना है कि वे डेढ़ महीने के भीतर इस मामले में पूरक चालान पेश करेंगे। इसमें कई और नामों का खुलासा होगा। जांच में यह भी उजागर हुआ है कि जिन अफसरों व कारोबारियों से राजीनामे के एग्रीमेंट हो चुके थे, उनके वीडियो भी आरोपी महिलाओं ने अलग-अलग डिवाइस में सुरक्षित रखे हुए थे।

एसआईटी चीफ बोले- कोर्ट में डेढ़ महीने के भीतर पूरक चालान पेश करेंगे.. इसमें कई और नामों का खुलासा होगा

राजीनामे का मजमून… चर्चा है कि एक वरिष्ठ अफसर का भी स्टाम्प पेपर पर लिखा कथित राजीनामा एसआईटी के पास है। इसमें कहा गया है कि हमने इनको बहुत तंग किया है। यह बहुत ही ‌ईमानदार अफसर हैं और अब हम इनको तंग नहीं करेंगे। इन्हाेंने हमें किसी तरह का काेई फायदा नहीं पहुंचाया। इस अनुबंध के साथ बाकायदा दोनों पक्षों के आधार कार्ड और पैन कार्ड की फोटोकॉपी भी चस्पा की जाती थी। ताकि कागजात कानूनी रूप से पुख्ता हों।

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चालान में एक करोड़ देने वाले अफसर का नाम सिर्फ बयान के आधार पर

एसआईटी चीफ ने माना कि यह चार्जशीट पूरी नहीं है और आगे अभी जांच चल रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जांच में जरूरत पड़ने पर पूजा का सुसाइड केस री-ओपन किया जाएगा। चार्जशीट में ब्लैकमेलर्स गैंग को एक करोड़ रुपए नकदी देने वाले आईएएस अफसर के नाम का खुलासा न किए जाने पर जांच टीम का बचाव करते हुए एसआईटी चीफ ने कहा कि अभी सिर्फ बयानों के आधार पर यह बात सामने आई है। मजबूत साक्ष्य नहीं मिले हैं। हालांकि वे इस बात का कोई जवाब नहीं दे पाए कि पत्रकारों को नोटिस जारी किए बिना और उनके बयान लिए बिना उनका नाम चार्जशीट में कैसे शामिल किया गया। उन्होंने यह जरूर कहा कि जिन पत्रकारों के नाम आए हैं, अभी उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है।

कौन है सौरभ त्रिपाठी.. जो सायबर मुख्यालय में नौकरी दिलाने वाला था

चार्जशीट के मुताबिक श्वेता विजय जैन अपनी परिचित महिलाओं को अपना प्रभाव दिखाने के लिए कई तरह के जतन करती थी। एक महिला को उसने सौरभ त्रिपाठी व एक अन्य व्यक्ति से मिलवाया था और कहा था कि राज्य सायबर मुख्यालय में वे उसे सरकारी नौकरी दिलवाएंगे। जांच एजेंसी ने सौरभ त्रिपाठी से अब तक कोई पूछताछ नहीं की है। आरती को दुकान दिलवाने वाले राजेश गंगेले से भी कोई पूछताछ नहीं हुई है। ऐसे ही आरती ने ऑटोमोबाइल शोरूम संचालक मनीष अग्रवाल के भी कोई बयान नहीं लिए। जबकि यह साफ है कि आरती ने कार की कीमत में उसे 4 लाख रुपए कम चुकाए थे।

आईएएस अफसर से वसूली के बाद भी आरोपियों ने वीडियो वायरल कर दिया था

चार्जशीट के मुताबिक महिला आरोपियों ने आईएएस अफसर पीसी मीणा से 20 लाख रुपए और सीतलानी से पांच लाख रुपए लिए थे। सीतलानी से रूपा अहिरवार का राजीनामे का एग्रीमेंट भी हुआ था। आईएएस अफसर से वसूली हो चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद से आरती दयाल नाराज हो गई और श्वेता के साथ उसका इस बात को लेकर विवाद भी हुआ था।

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