हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह के बहाने 2020 के स्वागत के लिए तैयार है विपक्ष! |

हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ 29 दिसंबर को लेंगे। 2019 के उत्तरार्द्ध में नए सपने देखने की उम्मीद से विपक्ष ने शपथ ग्रहण समारोह के बहाने 2020 के स्वागत की शानदार तैयारी की है। शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हामी भरी है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, एनसीपी के दिग्गज नेता शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के अरविंद केजरीवाल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी शामिल होने की सहमति दे दी है।

कांग्रेस राज्यों के मुख्यमंत्री कमलनाथ, भूपेश बघेल, अशोक गहलोत के अलावा विपक्ष के नेताओं में डीएमके के एमके स्टानिल, जद (एच) के एचडी कुमारस्वामी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, बसपा की सुश्री मायावती, शरद यादव, राजद के तेजस्वी यादव भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे।

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, डीएमके सांसद कनिमोझी. टीआर बालू, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ बेगूसराय से चुनाव लड़ चुके कन्हैया कुमार भी शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा बनेंगे।

2019 का ग्रैंड शपथ ग्रहण समारोह

झारखंड के मुख्यमंत्री की सरकार सही मायनों में विपक्ष की गठबंधन की सरकार है। इसकी ताजपोशी भी ग्रैंड बनाकर सत्तारुढ़ भाजपा को बड़ा राजनीतिक संदेश देने की तैयारी है। इससे पहले हाल में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी शपथ ली है। उद्धव का शपथ लेना भाजपा की छाती पर मूंग दलने जैसा था। महाराष्ट्र को धीरे-धीरे अपना गढ़ बनाने में लगी भाजपा के लिए बड़ा झटका इसलिए भी था कि सत्तारुढ़ दल ने विधानसभा चुनाव शिवसेना के साथ मिलकर लड़ा था।

अंतिम समय में शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़ दिया। इसके बाद भी भाजपा ने सरकार बनाने की पूरी कसरत की, लेकिन 40 घंटे बाद ही उसके मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को पद से इस्तीफा देना पड़ा था। वहीं झारखंड में गठबंधन के आगे सत्तारुढ़ दल की करारी हार हुई है। इसलिए उत्साह से लबरेज विपक्ष समारोह को शानदार तरीके से पूरा करना चाहता है।

सिमट रही है भाजपा

2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा का विजय रथ बढ़ चला था। भाजपा-गठबंधन 19 से अधिक राज्यों में सरकार बना ली थी, लेकिन धीरे-धीरे एक के बाद एक राज्य भाजपा की पकड़ से बाहर होते जा रहे हैं। भाजपा को पहला बड़ा झटका पिछले तीन राज्यों (छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश) के एक साथ बाहर आने से लगा। इसके बाद भाजपा लोकसभा चुनाव 2019 में शानदार सफलता लेकर आई, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र के चुनाव ने उनके आत्मबल पर बुरा असर डाला।

हरियाणा में भाजपा को सरकार बनाने के लिए दुष्यंत चौटाला के साथ गठबंधन करना पड़ा, तो महाराष्ट्र में सरकार बनाने में तोड़-फोड़ करके सफल हुई, लेकिन 40 घंटे के भीतर ही उसके मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को इस्तीफा देना पड़ा। शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई। इसी महीने में संपन्न हुए झारखंड चुनाव ने भी भाजपा को निराश किया। अब भाजपा की निगाह दिल्ली, बिहार, प. बंगाल पर टिकी है।

हालांकि भाजपा इनमें से केवल बिहार में जद (यू) की सत्ता साझीदार है। लेकिन विपक्ष की तैयारी तीनों राज्यों में भाजपा को पटखनी देकर प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के राजनीति अवसान का संकेत देने की है |

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