नागिरकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ देश में विरोध-प्रदर्शन थमता नजर नहीं आ रहा है। शुक्रवार को एक बार फिर जुमे की नमाज के बाद कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया। राजस्थान के अजमेर में दरगाह के खादिमों सहित बड़ी संख्या में मुसलमानों ने नागिरकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध मार्च निकाला और इस विवादास्पद कानून को वापस लेने की मांग की।
इस दौरान उन्होंने हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान जैनुल आबेदीन अली खान का पुतला भी जलाया, उन्होंने आबेदीन अली खान पर सीएए के मुद्दे पर मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
दरगाह के खादिम सरवर चिश्ती ने कहा, केंद्र को इस अधिनियम को रद्द करना चाहिए, यह संविधान की प्रस्तावना पर हमला है। साथ ही सरकार को यह भी कहना चाहिए कि एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) लागू नहीं किया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों ने लंबे समय तक सांप्रदायिक सद्भाव जैसे नारे लगाए गए। विरोध मार्च दरगाह से शुरू हुई और बाजार से गुजरते हुए कलेक्ट्रेट पर संपन्न हुई। सरवर चिश्ती ने आरोप लगाया कि दरगाह दीवान ने यह कहते हुए मुसलमानों को गुमराह किया कि सीएए उनके खिलाफ नहीं है, इसलिए हमने विरोध स्वरूप उनका पुतला जलाया है।
जैनुल आबेदीन अली ने पिछले हफ्ते कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम मुसलमानों के खिलाफ नहीं है और उन्हें इससे डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे उनकी नागरिकता को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने केंद्र से आग्रह किया था कि इस पर आशंका को दूर करने के बाद ही संशोधित अधिनियम को लागू किया जाए।
हलांकि, सोमवार को आबेदीन अली खान ने कहा था कि वह सीएए पर तुरंत रोक लगाने की मांग करते हैं। साथ ही हिंदुओं और मुसलमानों से मांग करते हैं कि वह शांति बनाए रखें। किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होनी चाहिए।