मुंबई. शुक्रवार को पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक(पीएमसी बैंक) घोटाले में मुंबई पुलिस ने 32000 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। चार्जशीट के मुताबिक, बैंक के अंदर के आदमी ने ही इस 65000 करोड़ रूपए के घोटाले का भंडाफोड़ किया था। यह पहली बार है जब पुलिस व्हिसल ब्लोअर शब्द का इस्तेमाल किया है।
बता दें कि कर्ज में अनियमितता और एनपीए को लेकर बैंक का प्रबंधन जांच के दायरे में है। यहां तक कि रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक की ओर से किसी भी तरह का लोन जारी किए जाने पर भी रोक लगा दी है। बता दें कि इस घोटाले में अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है।
ऐसे हुआ घोटाले का खुलासा
चार्जशीट में दर्ज तथ्यों के अनुसार बैंक के एक कर्मचारी और बैंक के तत्कालीन निदेशक जॉय थॉमस के बीच किसी मसले पर बहस हो गई। यह बहस कई चरणों में कई दिन तक चलती रही। इसके बाद ही इस घोटाले से पर्दा हटना शुरू हुआ। थॉमस के साथ जिस कर्मचारी की बहस हो रही थी, बताया जाता है कि उसने इस मामले को आरबीआई के सामने लाकर रख दिया। चार्ज शीट के मुताबिक, बैंक के अधिकारियों को इस बात की जानकारी 2017 से ही थी कि एचडीआईएल का कर्ज वापस नहीं आ रहा है।
इन्हें बनाया गया है प्रमुख अभियुक्त
इस चार्जशीट में एचडीआईएल के चेयरमैन राकेश वधावन और उनके बेटे सारंग वधावन, पूर्व निदेशक जॉय थॉमस, एचडीआईएल के पूर्व एमडी वरयम सिंह को मुख्य अभियुक्त बनाया है। इसके अलावा सुरजीत सिंह अरोड़ा जो पीएमसी बैंक के पूर्व निदेशक थे उन्हे भी अभियुक्त बताया गया है।
बैंक से लोन लेकर निजी संपत्ति खरीदी
एचडीआईएल ने बैंक के अधिकारियों के साथ साठगांठ कर रखी थी। इसी की वजह से ग्रुप की कंपनियों को आसानी से लोन मिल रहा था। बैंक से जो लोन मिल रहा था उसका निजी इस्तेमाल किया जा रहा था। आरोपियों ने बैंक से मिले लोन का इस्तेमाल देश और विदेश में प्रॉपर्टी खरीदने में किया।