सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कैंपस में छात्रों के हिंसक प्रदर्शन का नेतृत्व करने पर नाराजगी जाहिर की। रावत ने विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन पर सवाल उठाए। उनके इस बयान पर अब राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और एआईएमआईएम के हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सेनाध्यक्ष पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है। दिग्विजय ने जहां सांप्रदायिक आधार पर हिंसा को लेकर सवाल पूछा तो वहीं ओवैसी ने उन्हें अपने कार्यक्षेत्र तक सीमित रहने की सलाह दी।
दिग्विजय ने सेनाध्यक्ष से पूछा सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सेनाध्यक्ष के बयान पर पलटवार करते हुए उनसे सवाल पूछा। उन्होंने कहा, ‘नेता वे नहीं है जो लोगों को हथियार उठाने के लिए प्रेरित करते हैं। सेनाध्यक्ष ने नागरिकता प्रदर्शन को लेकर यह कहा। मैं जनरल साहेब की बात से इत्तेफाक रखता हूं लेकिन नेता वे भी नहीं होते जो अपने अनुयायियों को सांप्रदायिक आधार पर नरसंहार के लिए भड़काएं। क्या आप मेरी बात से सहमत हैं जनरल साहब?’
ओवैसी ने जनरल रावत को दी नसीहत
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोनाध्यक्ष को नसीहत दी है। उन्होंने ट्वीट कर रहा, ‘अपने कार्यालय के प्रभाव क्षेत्र को भी समझ लेना नेतृत्व है। यह (नेतृत्व) नागरिक की सर्वोच्चता को समझने के बारे में और जिस संस्था के प्रमुख आप हैं उसकी गरिमा को ठीक तरह से जानना भी है।’ समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘उनका यह बयान मोदी सरकार को निर्बल करता है। हमारे प्रधानमंत्री ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि एक छात्र के तौर पर आपातकाल के दौरान उन्होंने प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। तो सेनाध्यक्ष के बयान के अनुसार यह भी गलत है। ‘
हिंसक प्रदर्शन पर सेनाध्यक्ष ने जताई नाराजगी
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए सेनाध्यक्ष ने कहा कि नेता वे नहीं है जो लोगों को गलत दिशा में ले जाए। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में हमने देखा है कि किस तरह बड़ी संख्या में छात्र कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से निकलकर आगजनी और हिंसा करने के लिए लोगों और भीड़ का नेतृत्व कर रहे हैं। हिंसा भड़काना नेतृत्व करना नहीं है। उन्होंने कहा कि नेतृत्व क्षमता वह नहीं है जो लोगों को गलत दिशा में लेकर जाती हो। आज हम सब बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों की अगुआई में कई शहरों में भीड़ और लोगों को हिंसक प्रदर्शन करते देख रहे हैं।