अपने दूसरे कार्यकाल में पहली बार लखनऊ आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को मालवीय की धरती काशी का सांसद बताते हुए अटल की नगरी के लोगों को धन्यवाद बोला। संयोग से अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बुधवार को ही काशी के पं. मदन मोहन मालवीय की भी जयंती थी।
प्रधानमंत्री ने विकास और सुशासन पर बात शुरू की, लेकिन भाषण खत्म करते-करते जम्मू-कश्मीर, अयोध्या और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का जिक्र कर भविष्य के एजेंडे की तरफ इशारा कर आगे का इरादा भी जता दिया। अटल की बातों के सहारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पीठ ठोंकी तो विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदेश में हुई हिंसा पर लोगों को नसीहत दी।
हालांकि प्रधानमंत्री ने भविष्य के एजेंडे का खुलासा तो नहीं किया, पर अनुच्छेद 370 की विदाई, अयोध्या विवाद के समाधान और सीएए निर्माण का जिक्र करते हुए जब यह कहा कि अभी जो बाकी हैं, उनके समाधान के लिए पूरे सामर्थ्य के साथ भारतवासी काम कर रहे हैं तो पूरा सभागार ‘जयश्री राम’ के नारे और तालियों से गूंज उठा।
जो यह बताने के लिए पर्याप्त था कि मोदी ने भले ही सामर्थ्य शब्द को भारतवासियों से जोड़कर दिशा घुमा दी हो, लेकिन लोग उनके इरादे समझ गए। हालांकि प्रधानमंत्री ने इससे आगे की बातों को खूबसूरती से फिर विकास की ओर मोड़ा पर उनके इस वाक्य में कि ‘वह हर चुनौती को चुनौती देने के लिए ही निकले हैं’ बिना कहे बहुत कुछ कह दिया।
अटल के सहारे ही सरोकारों को धार
प्रधानमंत्री मोदी लखनऊ से निकले कर्मयोगी और यहां से पांच बार सांसद पूर्व प्र्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी जयंती पर लोकभवन में लगाई गई उनकी 25 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण और उनके नाम पर बनने वाले चिकित्सा विश्वविद्यालय के शिलान्यास के लिए आए थे। शायद इसीलिए मोदी ने स्व. वाजपेयी की बातों को ही आगे के सरोकारों पर इरादे जताने का जरिया बनाया।
उन्होंने कहा कि अटल जी मानते थे कि सुशासन के लिए समस्याओं को टुकड़ों में देखने और उनका समाधान करने के बजाय समग्रता व समरूपता में देखना चाहिए। किसी सरकार का मूल्यांकन इस आधार पर होना चाहिए कि उसने विरासत में मिली समस्याओं को कितना सुलझाया।
केंद्र सरकार ने उसी कसौटी पर सबकी धारणाएं चूर-चूर करते हुए विरासत में मिली अनुच्छेद 370 की बीमारी का इलाज किया। आजादी मिलने के साथ ही विवाद के रूप में मिले राम जन्मभूमि विवाद का समाधान हो गया। अपना धर्म और बेटियों की इज्जत बचाने के लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों की समस्याओं का हल किया। मोदी की इन बातों से यह संकेत भी निकलता दिखा कि भाजपा के एजेंडे का हिस्सा समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण जैसे विषय सरकार को भूले नहीं हैं।
ये बातें भी कुछ कहती हैं
प्रधानमंत्री ने 36 मिनट के भाषण में मुख्यमंत्री योगी की जिस तरह पीठ थपथपाई। प्रदेश सरकार के कामों को अटल की कसौटी पर परखते हुए आयुष्मान योजना से लेकर स्वच्छता अभियान तक की तारीफ की, उससे साफ हो गया कि हालिया घटनाओं का सरकार की सेहत पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि अटल जी कहते थे कि सरकार को समग्रता में सोचना चाहिए। योगी सरकार समग्रता में ही सोचने और काम करने का भरपूर प्रयास कर रही है। सीएए पर विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा पर उन्होंने नसीहत देते हुए संकेतों में यह भी समझाने की कोशिश की कि इस तरह की घटनाएं सरकार के फैसलों को प्रभावित नहीं कर सकती।