रायपुर . रायपुर समेत 7 नगर निगम और 40 से ज्यादा नगरपालिका और नगर पंचायतों में सरकार बनाने के लिए निर्दलीयों की मदद लगेगी। इसके लिए कांग्रेस और भाजपा ने जद्दोजहद शुरू कर दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ महापौर और अध्यक्ष के दावेदार भी बहुमत साबित करने की कोशिश में जुट गए हैं। प्रदेशभर से खबरें अाने लगी हैं कि दोनों दलों के रणनीतिकार निर्दलीयों से मिल चुके हैं या मिलने वाले हैं। कई निकायों में खरीद-फरोख्त की अाशंका से बचने के लिए पार्षदों की पिकनिक वगैरह का प्लान बनने लगा है।
इस बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुए हैं, इसलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों से बड़ी संख्या में बागी जीतकर आए हैं। जिन दस निगमों में चुनाव हुए हैं, उनमें अंबिकापुर व जगदलपुर में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है। 48 में से 27 सीटें कांग्रेस जीती है। इसी तरह जगदलपुर में 48 में से 28 सीटों पर कांग्रेस के पार्षद जीते हैं। बाकी शहरों में कुछ सीटों के लिए कांग्रेस चूक गई है। रायपुर में कांग्रेस के पास 34 वार्ड हैं, जबकि जीत के लिए दो और की जरूरत है।
बिलासपुर में 35 सीटों पर कांग्रेस जीती है, लेकिन एक पार्षद प्रत्याशी शेख गफ्फार का निधन होने के कारण बहुमत के लिए दो सीटें कम पड़ गई हैं। धमतरी में बहुमत के लिए 21 सीटों की जरूरत है, जबकि कांग्रेस के पास 18 सीटें ही हैं। रायगढ़ में 24 वार्डों से कांग्रेस जीती है। यहां बहुमत के लिए 25 सीटों की जरूरत है। दुर्ग में भी कांग्रेस को सिर्फ एक सीट की जरूरत है, जबकि राजनांदगांव में 4 सीटें चाहिए।
यहां कांग्रेस और भाजपा बराबर
बलौदाबाजार के नगर पंचायत टुंडरा में कांग्रेस-भाजपा को 7-7 सीटें मिली हैं। इसी तरह नगर पंचायत साजा में 6-6 सीटें मिली हैं। नगर पंचायत गंडई, सहसपुर लोहारा, पिपरिया, दोरनापाल, नई लेदरी, बिल्हा, नगर पालिका तखतपुर और कटघोरा में दोनों दलों को 7-7 सीटें मिली हैं। यहां दोनों में से कोई भी दल एक निर्दलीय को साथ लेकर अध्यक्ष के पद पर कब्जा करने की स्थिति में है। पेंड्रा में कांग्रेस और भाजपा को 4-4 सीटें मिली हैं, जबकि जनता कांग्रेस को 4 और 3 निर्दलीय जीते है। यहां पर तगड़ी लॉबिंग शुरू हो गई है। खरौद में भी कांग्रेस और भाजपा 5-5 सीटों पर है, जबकि 5 निर्दलीय हैं।
कई जगह दलों से बड़े निर्दलीय
नगर पंचायत बस्तर में 15 वार्ड हैं। यहां से भाजपा एक वार्ड तो कांग्रेस 6 वार्ड, लेकिन 8 वार्डों में निर्दलीय जीते हैं। महासमुंद में कुल 30 वार्ड हैं। इनमें 14 पर भाजपा, 8 पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते हैं, जबकि पांच निर्दलीय, दो जनता कांग्रेस और एक अन्य की जीत हुई है। यहां भी पेंच फंस गया है। बागबाहरा में 15 वार्डों में 5 पर निर्दलीय, चार में कांग्रेस और 6 वार्डों से भाजपा जीती है। नगर पंचायत बसना में 15 में से 7 वार्डों से निर्दलीय जीते हैं, जबकि भाजपा 3 और कांग्रेस 5 वार्डों से जीती है।
धमतरी में तीन बागी पार्षद कांग्रेस में शामिल, अब बहुमत आई
धमतरी नगर निगम में कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले ज्योति वाल्किमी, कमलेश सोनकर आैर रीतेश राजपूत तीनों कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इस तरह अब धमतरी नगर निगम में कांग्रेस 21 पार्षदों के साथ बहुमत में आ गई है। कांग्रेस का कहना है कि जब से धमतरी पंचायत, पालिका या निगम बना है तब से वहां कांग्रेस ने जीत दर्ज नहीं की थी अब यहां कांग्रेस ने भाजपा को पटखनी देते हुए परचम लहराया है।
सांसद सोनी बोले- उम्मीद नहीं छोड़ी रायपुर में हमारा महापौर होगा
सांसद सुनील सोनी ने मीडिया के चर्चा के दौरान दावा किया है कि रायपुर नगर निगम में पिछड़ने के बाद भी हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है। यहां भाजपा का ही महापौर होगा। सोनी ने कहा कि कांग्रेस की तरह हमारी भी नजर निर्दलीयों पर है। सोनी ने कांग्रेस पर चुनाव में धनबल और बाहुबल के इस्तेमाल का आरोप लगाया है।
इधर, भाजपा दिग्गजों की हार के बाद उपासने का अपनों पर कटाक्ष, लिखा-पापों का कर्म भुगत रहे
टिकट वितरण पर पहले ही नाराजगी जता चुके हैं वरिष्ठ नेता
नगरीय निकायाें में भाजपा की हार के बाद वरिष्ठ नेता व प्रदेश उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने के सोशल मीडिया पर अपनी ही पार्टी पर कटाक्ष किया है। उपासने ने बुधवार को सुबह दो पोस्ट किए। इसमें एक में लिखा है कि बोया बबूल का तो आम कहां से हाेए, जैसी करनी वैसी भरनी, वहीं दूसरे पोस्ट में लिखा है कि पाप किए थे हमने, अपने कर्मों का ही फल पाया। इन दोनों पोस्ट के बाद पार्टी के साथ ही सियासी गलियारे में भी यह चर्चा है कि टिकट वितरण में बड़े नेताओं की मनमानी के कारण ऐसी स्थिति बनी है।
उपासने ने टिकट वितरण के दौरान ही वर्तमान व पूर्व विधायकों पर मनमानी करने का आरोप लगाया था। उस समय पार्टी के किसी नेता ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। अब जबकि दिग्गज नेता हार गए हैं और भाजपा के ही बागी कई वार्डों से जीत गए हैं तो टिकट वितरण को लेकर बाकी कार्यकर्ता भी सवाल खड़े कर रहे हैं। हालांकि इस पूरे मामले में हारे हुए पार्षद प्रत्याशियों की ओर से कोई बयान नहीं आया है। वे मीडिया से बातचीत में भी पार्टी फोरम में हार के कारणों की समीक्षा करने की बात कह रहे हैं।
44 वार्डों में जीत की थी उम्मीद
पार्टी नेताओं के मुताबिक टिकट वितरण में गड़बड़ी के कारण ही भाजपा राजधानी में 29 सीटों पर सिमट गई, जबकि जिन नामों की चर्चा थी, उसके हिसाब से 44 सीटों पर स्पष्ट रूप से जीत की उम्मीद थी। भाजपा के ही पांच बागी जीते हैं, जबकि महापौर के दावेदार चार दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। सबसे ज्यादा आलोचना अपील समिति के फैसले पर हो रही है। अपील समिति ने जिन तीन वार्डों के प्रत्याशी बदले उन तीन वार्डों में भाजपा हार गई। इस तरह भाजपा राजधानी में बहुमत से 7 सीट पीछे रह गई।
उपासने हार चुके मेयर-विस चुनाव
पिछले साल निकाय चुनाव में उपासने ही रायपुर में भाजपा के मेयर पद के उम्मीदवार थे। उस समय कांग्रेस से ज्यादा पार्षद भाजपा के जीते थे, लेकिन उपासने हार गए थे। इससे पहले विधानसभा चुनाव में भी रायपुर उत्तर से प्रत्याशी रहे उपासने की हार के बाद हुई समीक्षा में भितरघात की बात सामने आई थी।