मुंबई। बाम्बे हाई कोर्ट ने झुग्गी-झोपडि़यों के पुनर्वास प्रोजेक्ट के नाम पर हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में महाराष्ट्र सरकार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) और दो निजी कंपनियों से जवाब तलब किया है। अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी।
जस्टिस बीपी धर्माधिकारी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इमरान यूसुफ खान की याचिका पर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। खान ने याचिका में आरोप लगाया है कि ओंकार ग्रुप ऑफ कंपनी और गोल्डेन एज ग्रुप ऑफ कंपनी ने स्लम पुनर्वास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर उपनगर जोगेश्वरी में झुग्गी झोपडि़यों के पुनर्वास के लिए फर्जी तरीके से लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआइ) हासिल कर लिया।
एलओआइ के जरिए दोनों कंपनियों ने विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 22 हजार करोड़ रुपये के लोन ले लिए। जबकि उनके पास संबंधित विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं है और न ही प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए जरूरी अनुमति ही है। यह योजना 2009 में शुरू हुई थी और अभी तक प्रोजेक्ट पर काम शुरू तक नहीं हुआ है।