रायपुर . आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में फ्री एंजियोप्लास्टी 25 नवंबर से अचानक बंद हो गई। फ्री स्कीम में एंजियोप्लास्टी का सरकारी पैकेज 50 हजार का है, लेकिन मरीजों को केवल 17 हजार की मदद की जा रही है। बाकी 33 हजार जेब से देने पड़ रहे हैं। यानी इस बीमारी के इलाज के कुल पैकेज का केवल 35 फीसदी ही इंप्लांट व दवा के लिए स्वीकृत किए जा रहे हैं। बाकी पैसे मरीज व उनके परिजनों को देने पड़ रहे हैं। ऐसी ही परेशानी कैंसर, ब्रेन, कार्डियक सर्जरी के मरीजों को भी हो रही है।
आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों का सरकारी और अनुबंधित प्राइवेट अस्पतालों में इलाज फ्री करने का प्रावधान है। फ्री इलाज के लिए बीमारी के हिसाब से पैकेज तय हैं। एंजियोप्लास्टी भी उसमें शामिल है। अब तक तो सरकारी अस्पतालों में एंजियोप्लास्टी बिल्कुल मुफ्त में की जा रही थी। स्टेंट से लेकर सर्जरी में उपयोग होने वाला बलून व दवाएं सभी आयुष्मान कार्ड से फ्री उपलब्ध करवाई जा रही थीं। अब ऐसा नहीं हो रहा है। अब कुल पैकेज का 40 प्रतिशत मुख्यमंत्री सहायता कोष और 25 प्रतिशत इलाज करने वाले डाॅक्टरों व स्टाफ को इंसेंटिव दे दिया जा रहा है। शेष|पेज 6
बाकी बचे 35 प्रतिशत फ्री इलाज के लिए दिया जा रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में न तो मुख्यमंत्री सहायता कोष में और न ही डाक्टरों को इंसेंटिव दिया जा रहा है। इस वजह से वहां एंजियोप्लास्टी के लिए पूरे 50 हजार का पैकेज दिया जा रहा है।
एक हफ्ते से मंथन
सप्ताहभर से इसे लेकर मंथन चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आला अफसर इस पर कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। अफसरों का कहना है कि ये पॉलिसी मैटर है। इस पर आला अधिकारी ही निर्णय लेंगे। दूसरी ओर इस सिस्टम से कई मरीजों की सर्जरी व इलाज अटक गया है। स्टाफ द्वारा बाकी पैसा मांगने से मरीज के परिजनों के साथ उनका विवाद हो रहा है। कई डॉक्टरों ने भी बताया कि अंतर का पैसा या इंप्लांट मंगवाने पर परिजन विवाद कर रहे हैं। वे डॉक्टरों को ही दोषी बना रहे हैं। प्रबंधन भी आयुष्मान से जुड़े अधिकारियों को पैकेज की समस्या बता चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
निजी अस्पतालों में पूरा पैकेज इलाज में
खास बात यह है कि निजी अस्पतालों में मरीजों को आयुष्मान भारत योजना का पूरा पैकेज मिल रहा है। हालांकि कुछ निजी अस्पताल पैकेज के बाद भी मरीजों से अतिरिक्त पैसे वसूल रहे हैं। सरकारी व निजी अस्पतालों में इलाज के अलग-अलग नियम होने से मरीजों की परेशानी बढ़ी है। जानकारों का कहना है कि अगर अंबेडकर व डीकेएस में आयुष्मान कार्ड के बाद भी मरीजों को जेब से पैसे देना पड़े तो निजी अस्पतालों में इलाज कराना बेहतर है।
पैकेज बढ़ाने की मांग करता रहा है आईएमए
आईएमए पैकेज कम होने का हवाला देकर बढ़ाने की मांग लंबे समय से कर रहा है। डॉक्टरों के अनुसार आईसीयू का पैकेज कम है। वेंटीलेटर के साथ 4500 रुपए रोजाना व बिना वेंटीलेटर 2500 रुपए है। जबकि दवा में ही 20 से 25 हजार खर्च होने का दावा डॉक्टर करते हैं। उनका कहना है कि सर्जिकल पैकेज भी कम है। इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है।
आयुष्मान भारत योजना बीमारियों का इलाज इस तरह
- दांत- 31.67 फीसदी (एक माह से इलाज बंद)
- मोतियाबिंद 16.4 फीसदी
- मेडिकल 14.63 फीसदी
- गायनाकोलॉजी 13.43 फीसदी
- फिक्स्ड मेडिकल 7.23 फीसदी
- जनरल सर्जरी 6.34 फीसदी
हितग्राही इस तरह
- आयुष्मान भारत योजना- 40 लाख और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना- 16 लाख रायपुर के प्रमुख अस्पताल जहां योजना से इलाज
- एम्स, अंबेडकर अस्पताल, डीकेएस, जिला अस्पताल, रामकृष्ण केयर (लालपुर), श्री बालाजी (मोवा), श्री नारायणा (देवेंद्र नगर), एनएचएमएमआई (लालपुर), सुयश (कोटा)
इन बीमारियों के इलाज में भी दिक्कत
एंजियाेप्लास्टी के अलावा कैंसर के मरीजों की कीमोथैरेपी, सिंकाई व सर्जरी वाले मरीजों का भी यही हाल है। हिप और घुटने के रिप्लेसमेंट का पैकेज भी पूरा पूरा नहीं मिल रहा है। मरीजों को पैकेज का केवल 35 फीसदी ही लाभ दिया जा रहा है। डीकेएस में भी न्यूरो सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, पीडियाट्रिक सर्जरी में सर्जरी कराने वाले मरीज परेशान हैं।