भोपाल. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) में गुरुवार को छात्रों ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान कुलपति कार्यालय के बाहर तोड़फोड़ भी की गई। छात्रों का आराेप है कि एक ओर विवि के कुलपति विवि की विचारधारा संविधान को बताते हैं, लेकिन विवि के ही एडजंक्ट फैकल्टी (अनुबंधक प्राध्यापक) दिलीप मंडल और मुकेश कुमार विवि का माहौल खराब कर रहे हैं।
इनकी गतिविधियों से छात्र जातिगत तौर पर बंट रहे हैं, इसलिए इन दोनों को बाहर करने की मांग को लेकर छात्र कुलपति कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे रहे। फैकल्टी की मौजूदगी में रजिस्ट्रार दीपेंद्र बघेल के साथ हुई चर्चा के दौरान छात्रों ने आरोप लगाए कि जातिगत तौर उन्हें बांटने की कोशिश की जा रही है।
छात्रों के पहनावे, कलावा बांधने और तिलक लगाने पर आपत्ति दर्ज की जा रही है। छात्रों ने चेतावनी दी कि जब तक दोनों फैकल्टी को बाहर नहीं किया जाता, तब तक विरोध दर्ज कराते रहेंगे, क्योंकि यह सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जिस तरह से पोस्ट डालते हैं और कक्षाओं में व व्यक्तिगत रूप से छात्रों से उनकी जाति जानने की कोशिश की जाती है, वह असंवैधानिक है। वहीं छात्रों ने कहा कि उन्होंने किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ नहीं की है।
मामले में दिलीप मंडल ने कहा कि विवि में क्या विरोध हुआ, यह बात उनके संज्ञान में नहीं है। मुकेश कुमार ने छात्रों द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि यह दुराग्रह, पूर्वाग्रह व राजनीति से प्रेरित हैं। चीजों को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है, ताकि विवि में अनिश्चितताओं का माहौल बने।
आरोप यह भी… विवि के ऊपर लगा तिरंगा हटाया
विवि की लाइब्रेरी से चुन-चुनकर किताबें, पत्रिकाएं हटाई गई हैं। विवि के ऊपर तिरंगा लगा था, उसे हटाया गया है। कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट द्वारा एक सेमिनार में बांटे गए प्रमाणपत्र में जो भारत का नक्शा प्रकाशित किया, उसमें पीओके को जम्मू कश्मीर से काटकर बताया है। विवि में जो सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं, उनमें शामिल होने वाले अतिथि राजनीतिक, विचारधारा के नाम पर आरेाप लगा रहे हैं। कुलपति के भाषण में छात्र तथ्यात्मक त्रुटियां निकालते हैं और सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं तो उन्हें ऑफिस में बुलाकर डांट लगाई जाती है।
सोशल मीडिया से डिलीट करवा दी जाती है पोस्ट
जो छात्र सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते हैं, उन्हें बुलाकर मना किया जाता है। पोस्ट डिलीट कराए जाते हैं, लेकिन यह प्रोफेसर्स कुछ भी लिखते रहें, इस पर विवि प्रशासन ध्यान नहीं देता। यह फैकल्टी एक वर्ग विशेष को लेकर अभद्र टिप्पणियां करते हैं। इससे विवि की गरिमा भी खराब हो रही है।
ज्ञापन देने के बाद भी विवि प्रशासन ने नहीं की चर्चा
छात्रों ने विवि प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए। छात्रों ने कहा कि यह बातें किसी से छिपी नहीं हैं। बुधवार को ज्ञापन दिया था, इसके बाद भी प्रशासन ने कोई चर्चा नहीं की। वहीं रजिस्ट्रार ने कहा कि आवेदन कुलपति को संबोधित था। अब उन्होंने शुक्रवार को वीसी से मिलाने का आश्वान दिया है।