जिला शिमला के दो हजार करोड़ के सीमेंट प्लांट का विरोध मुखर हो गया है। सीमेंट प्लांट से प्रभावित होने वाले लोगों को आशंका है कि सीमेंट उत्पादन शुरू होने से क्षेत्र की सेब, मटर, बासमती, बीन, टमाटर और फूल की पैदावार पर मार पड़ेगी। प्रभावित होने वाली 21 पंचायतों की ग्राम सभा में सीमेंट प्लांट के विरोध में प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा जाएगा। किंगल से बसंतपुर का साठ किलोमीटर क्षेत्र इससे प्रभावित होगा। इसमें करसोग, कुमारसैन और नारकंडा की पंचायतें प्रभावित होंगी।
मंत्रिमंडल की ओर से बसंतपुर किंगल सीमेंट प्लांट लगाने के मामले पर मुहर लगाने के बाद क्षेत्र के लोग इसका विरोध करने लगे हैं। लोगों का कहना है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर सीमेंट प्लांट स्थापित करने से कोई फायदा नहीं है। क्षेत्र में बागवान और किसान सेब, सब्जियां और फूलों की पैदावार कर आर्थिक जरूरतें पूरी कर रहे हैं। सीमेंट प्लांट को चलाने को क्षेत्र में खनन होने से पर्यावरण प्रभावित होगा और खनन से फसलें तबाह होंगी। माना जा रहा है कि शिमला ग्रामीण की नौ पंचायतें और कुमारसैन की 12 पंचायतें की फसलें इससे तबाह होंगी।
108 करोड़ की पेयजल योजनाओं पर पड़ेगी मार
सीमेंट प्लांट के लिए प्रस्तावित खनन वाले इलाके में 108 करोड़ की पेयजल योजनाओं पर मार पड़ेगी। नए सीमेंट प्लांट से सुन्नी, ठियोग, कुमारसैन और कोटगढ़ पेयजल योजनाओं पर संकट खड़ा हो जाएगा। योजनाओं का काम पूर्व कांग्रेस शासनकाल में शुरू हुआ था। लोगों को भय है कि सीमेंट प्लाट बनने से इन पेयजल योजनाओं पर असर पड़ना तय है।
क्या कहते हैं पर्यावरण संरक्षण समिति के समन्वयक
पिछड़ा क्षेत्र विकास समिति के महासचिव और पर्यावरण संरक्षण समिति के समन्वयक हरिकृष्ण हिमराल ने कहा कि सरकार सीमेंट प्लांट स्थापित कराती है तो इसे क्षेत्र की नगदी फसल सेब, मटर, बासमती, मटर, फूलों की खेती चौपट होगी और पर्यावरण को भी नुकसान होगा। दिसंबर और जनवरी में क्षेत्र की प्रभावित पंचायतों में होने वाली ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करके भी सीमेंट प्लांट की विरोध करेंगे।