पूर्व विधायक श्‍याम सिंह राणा ने भाजपा छोड़ी, इनेलो में हुए शामिल

पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा शनिवार को इनेलो में शामिल हो गए। चंडीगढ़ के सेक्टर-नौ में स्थित विधायक अभय सिंह चौटाला के निवास पर आयोजित कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने उन्हें पार्टी में शामिल किया।

राणाा ने वहां से लौटने पर बताया कि भाजपा व कांग्रेस दोनों एक ही थैली क चट्टे बट्टे हैं। दोनों दलों ने कृषि संबंधी बिलों का समर्थन किया था। सत्ता से बाहर रहते हुए दोनों दल इसका विरोध करते है और सत्ता में आने पर इसका समर्थन करते है। लेकिन देवी की इनेलो पार्टी हमेशा से किसानों, मजदूरों, दुकानदारों व व्यापारियों के हितों की लड़ाई लड़ती रही। वह पार्टी से जुड़कर किसानों, मजदूरों, दुकानदारों व आम जनता की लड़ाई लड़ेंगें।

लगाए ये आरोप

पूर्व विधायक ने कहा, भाजपा जबरन किसानों पर काले कानून थोप रहीे है। डेढ माह पहले राणा भाजपा में अनदेखी के चलते विधायक अभय सिंह चौटाला से मिले थे और उन्हें पार्टी में शामिल किए जाने को लेकर बात की थी। 30 सितंबर को श्याम सिंह ने भाजपा छोड़ दी थी।

जानें श्‍याम सिंह राण का भाजपा में सफर

श्याम सिंह राणा जून 2007 को कुरुक्षेत्र में भाजपा में शामिल हुए थे। 2009 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा की टिकट पर रादौर से चुनाव लड़े और 13750 मत हासिल किये थे। 2014 उन्होंने इनेलो के राजकुमार बुबका को हराकर 67800 मत प्राप्त किए थे।

मौके पर यमुनानगर के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह, जाहिद खान कांसेपुर, पुष्पेंद्र गुर्जर, मलखान सिंह ग्रेवाल, डा. नरेश सारण, रामपाल सरपंच काजीबांस, दीपक सरपंच सारन, पवन सरपंच गोलनी, गोल्डी भोगपुर समेत अन्य मौजूद रहे।

पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा के भाजपा छोड इनेलो में शामिल होने पर पूर्व राज्यमंत्री कर्णदेव कांबोज ने कहा कि जीवनभर श्याम सिंह राणा एक से दूसरे दल में शामिल होते रहे। यही वजह है वह विधानसभा व लोकसभा चुनाव हारते गए। 2014 में भाजपा ने उन्हें रादौर से टिकट देकर चुनाव जिताया था। वह जिस दल में पहले थे अब फिर उसी में चले गए हैं। इनेलो एक डूबता हुआ जहाज है, जिस पर श्याम सिंह सवार हुए है। उनके इनेलो में शामिल होने से पार्टी कोई फायदा नहीं मिलेगा। वह अवसरवादी नेता है। जो अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए दूसरे दल में शामिल होते रहे हैं। क्षेत्र में उनका व इनेलो का कोई जनाधार नहीं है। उन्होंने कहा कि राणा भाजपा के कभी वफदार नहीं थे। वह अवसरवादी हैं। जो अपने फायदे के लिए हमेशा पार्टियां बदलते रहे। भाजपा के कारण ही उन्हें क्षेत्र में लोगों से मान सम्मान मिला।

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