कुरुक्षेत्र। श्रीमद्भगवत गीता के अमर संदेश को आत्मसात करके चल रहे यूनाइटेड किंगडम में पिछले 20 वर्षों से बसे भारतीय मूल के हरियाणा में जन्मे डॉ. सत्यवीर सिंघल को ब्रिटिश साम्राज्य पदक से नवाजा जाएगा। ब्रिटिश एम्पायर मेडल (बीईएम) का इतिहास एक सदी पुराना है। डॉ. सिंघल को यह मेडल एनएचएस बेलफास्ट के साथ इंडियन कम्यूनिटी के लिये किये सराहनीय योगदान के लिये दिया जाएगा। यह मेडल ब्रिटेन में अलग-अलग क्षेत्रों में दिये गये महत्वपूर्ण योगदान के दिया जाता है।
बता दें कि अगस्त 2019 में लंदन में आयोजित इंटरनेशनल गीता महोत्सव में भी डॉ. सत्यवीर सिंघल ने भाग लिया था और इस आयोजन के दौरान सेवाएं दीं थीं। अमर उजाला से फोन पर हुई बातचीत में डॉ. सत्यवीर सिंघल ने बताया कि इसकी जानकारी उन्हें यूके की न्यूज एजेंसी द्वारा जारी किये गये एक बुलेटिन से मिली। साथ ही इस बात की पुष्टि भारतीय उच्चायोग ने भी की है।
उन्होंने बताया कि ब्रिटेन की रानी के जन्मदिन के अवसर पर ब्रिटिश एंपायर मेडल देने की परंपरा है। यह मेडल जिन लोगों को दिया जाएगा, उनके नामों की घोषणा कर दी गई है, लेकिन मेडल वितरण की तारीख अभी सुनिश्चित नहीं हुई है। डॉ. सत्यवीर सिंघल के मुताबिक उनके शिक्षक पिता हरिराम सिंघल एवं माता धर्मी सिंघल ने उन्हें बचपन से ही सदैव अपने कर्तव्य का पालन करने का पाठ पढ़ाया।
वहीं, कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिये गये गीता उपदेश का अमर वाक्य कर्म किये जा फल की इच्छा न करो को अपने जीवन में उतारा। उन्होंने बताया कि गीता महोत्सव-2019 में उन्हें कुरुक्षेत्र आने निमंत्रण मिला था, लेकिन व्यस्तता के चलते वह नहीं आ सके थे और इस बार कोरोनाकाल की वजह से संभवत: नहीं आ सकेंगे, मगर उनकी इच्छा है कि वह जब भी कुरुक्षेत्र आएंगे, तब गीता जन्मस्थली पर इस मैडल के साथ ही पहुंचेंगे।
यूके में 20 साल से चिकित्सा के क्षेत्र में सेवारत हैं सिंघल दंपती
डॉ. सत्यवीर सिंघल के मुताबिक वह स्वयं और उनकी धर्मपत्नी डॉ. मधु सिंघल पिछले 20 वर्षों से यूके में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े हैं। वैश्वविक महामारी कोरोनाकाल में उनके जैसे अनेक डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ ने अपनी जान पर खेल कर पीड़ितों की जान बचाने और लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक किया।
दिल्ली में की पढ़ाई पूरी
भारतीय मूल के डॉ. सत्यवीर सिंघल का पुश्तैनी गांव हरियाणा के जिला रोहतक में गांव कि सरेंटी है। उनके पिता हरिराम सिंघल दिल्ली के राजकीय विद्यालय में बतौर शिक्षक सेवाएं दे चुके हैं। डॉ. सिंघल ने भी अपनी पढ़ाई दिल्ली में पूरी की। साल 2000 में वह इंग्लैंड चले गये और तब से एनएचएस में सेवारत हैं।