हरियाणा सरकार की कोई रीस नहीं कर सकता और ना ही हरियाणा सरकार का अपना कोई स्टेण्ड कायम
रहा है यह बात हरियाणा की जनता अच्छी तरह जानती है। राज्य का खजाना खाली तो पोलीस को
आदेश जाओ जनता के चालान काटो पैसे इकठा करो ,
हरियाणा की जनता को कोरोना जैसी माहामारी में इस
तरह अनाथ छोड़ दिया जैसे इस राज्य का कोई बालिवारिस ही नहीं है ,आम जनता कोरोना से त्राहि मां
त्राहिमाम कर रही है राज्य का मुखिया मेदांता फरमा रहा है जनता के पैसे से क्यों आम जनता के बीच सरकारी
अस्पताल में अपना इलाज करवाया हरियाणा के मुखिया ने अगर वह कोरोना पॉजिटिव है या फिर क्यों
हरियाणा की जनता का इलाज मेदांता जैसे बड़े अस्पतालों में करवाया जा रहा। सरकार जनता को इस तरह
आंकड़ों से कब तक बरगलाते रहोगे राज्य में कहाँ कहाँ कोरोना मरीज है जनता सब जानती है की उनकी संख्या
8 % से कहीं जयादा है इसके बाद भी राज्य सरकार अपनी खानापूर्ति पूरी करने में लगी है कोरोना के नाम पर
कर्ज पर कर्ज लिया जा रहा है लेकिन इस्तेमाल कहाँ हो रहा है मेदांता जैसे बड़े अस्पतालों में जहाँ वीवीआईपी
मनोहर लाल दाखिल है।
इसलिए अब देखिये हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि सरकार
द्वारा कोविड-19 की तीव्रता जांच के लिए करवाए गए सेरो सर्वे में प्रदेश के करीब 8 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज
तैयार होने की पुष्टि हुई है। इसके लिए राज्य के विभिन्न जिलों से 18905 सैंपल एकत्रित किए।
विज ने सेरो सर्वे के आंकड़े वर्चुअल जारी करते हुए कहा कि प्रदेश में मात्र 8 प्रतिशत लोग ही कोरोनो से
प्रभावित हुए है। इन 8 प्रतिशत में से बड़ी संख्या में लोगों की कोरोना जांच की जा चुकी है, जबकि काफी लोगो
मे ही कोरोना आकर स्वतः चला गया है। सीरो सर्वेक्षण से एंटीबॉडीज की उपस्थिति का पता लगाने के लिए
व्यक्तियों के एक समूह पर परीक्षण किया गया है। इससे राज्य में कोविड-19 के संक्रमण एवं इससे प्रभावित
लोगों की संख्या को समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि एंटीबॉडीज केवल उन्हीं लोगों में बनती होती है
जो एक बार बीमार होकर ठीक हो जाते हैं। इसलिए जितने अधिक लोगों में एंटीबॉडी पाई जाएगी, उतने ही
अधिक संख्या में कोरोना से संक्रमित होते है। इस सर्वे से दो तथ्य सामने आए है। इनमें पहला हमारी सरकार
द्वारा किए गए लॉकडाउन, स्वास्थ्य सेवाओं, पुलिस की भागीदारी, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को निर्देश और
हॉस्पिटल व होम आइसोलेशन संबंधित एसओपी से कोरोनावायरस की तीव्रता को बढ़ने नहीं दिया गया, दूसरा
प्रदेश में जिन लोगों को बीमारी की शिकायत हुई या जिनमें संभावना दिखाई दी हमने उन तक तुरंत पहुच
बनाकर जांच की। इससे 8 प्रतिशत से भी कम लोगो मे कोरोना के आकर स्वयं जाने की पुष्टि हुई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हरियाणा के अलावा भी कई अन्य प्रदेशों में इस प्रकार का सर्वे करवाया है, जहां कम
सैंपल में भी अधिक एंटीबॉडीज पाई गई है।
उन्होंने बताया कि पंजाब में मात्र 1250 सैंपल से 27.7 प्रतिशत
एंटीबॉडी मिली है वही दिल्ली के सेकंड राउंड सर्वे में एकत्रित किए गए 1500 सैंपल में 29.1 एंटीबॉडी पाई है।
इसी प्रकार तमिलनाडु में 12000 के सैंपल पर 21.5 प्रतिशत तथा मुम्बई के 6936 सैम्पल से 57 प्रतिशत
एंटीबॉडीज रही। इस संबंध में अगस्त माह में करवाये गए सर्वे में सरकार द्वारा समय रहते उठाए गए
सकारात्मक व समुचित कदमों की झलक दिखाई दे रही है। सर्वे में शहरी क्षेत्रो के लोग गांवों से अधिक प्रभावित
पाए गए है। इसके तहत शहरों में 9.6 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 6.9 प्रतिशत सेरो-पॉजिटिविटी पाई गई है।
प्रदेश के 4 जिलों में फतेहाबाद, भिवानी, महेंद्रगढ़ तथा कैथल कोरोनो संक्रमण की तीव्रता लगभग 3 प्रतिशत या
उससे कम पाई गई है।
पानीपत में 7.4 प्रतिशत, पलवल में 7.4 प्रतिशत, पंचकुला 6.5 में प्रतिशत, झज्जर 5.9 प्रतिशत, अंबाला में 5.2
प्रतिशत, रेवाड़ी 4.9 प्रतिशत, सिरसा 3.6 प्रतिशत, हिसार 3.4 प्रतिशत, फतेहाबाद 3.3 प्रतिशत, भिवानी 3.2
प्रतिशत, महेंद्रगढ़ 2.8 प्रतिशत, कैथल 1.7 प्रतिशत तथा रोहतक में 1.1 प्रतिशत रहा है। इसके अलावा
एनसीआर जिलों में कोरोना का प्रभाव ज्यादा दिखाई दिया, जोकि 25.8 फीसदी रहा है। इनमें शहरी क्षेत्रो में
31.1 प्रतिशत और ग्रामीण में 22.2 प्रतिशत पाया है। फरीदाबाद में 25.8 प्रतिशत, नूंह में 20.3 प्रतिशत,
सोनीपत में 13.3 प्रतिशत, गुरुग्राम में 10.8 प्रतिशत रहा है। इसी प्रकार करनाल में 12.2 प्रतिशत, जींद 11
प्रतिशत, कुरुक्षेत्र 8.7 प्रतिशत, चरखी दादरी 8.3 प्रतिशत और यमुनानगर 8.3 प्रतिशत रहा। विज ने स्वास्थ्य
विभाग की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह सर्वे डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक
हेल्थ तथा पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के सहयोग से करवाया गया है, जोकि भविष्य के लिये मिल का पत्थर
सिद्ध होगा। इसमें प्रत्येक जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से 850 लोगों को शामिल किया गया है, जिसके लिए
स्वास्थ्य विभाग पिछले चार से पांच महीनों से कड़ी मेहनत कर रहा है। इसकी निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए
विभाग ने प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नामित किया गया था। उन्होंने कहा कि अच्छा काम करते हुए
भी विभाग के कमर्चारियों व अधिकारियों में निष्क्रियता नही आनी चाहिए।
अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने कहा कि सीरो सर्वेक्षण से हम प्रभावित लोगों की संख्या का अनुमान
लगाने में सक्षम हुए है। सर्वे के संचालन के लिए विभाग ने इतने कम समय मे मुख्यालय और जिला स्तर पर
सर्वेक्षण कर एक सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने बताया कि गैर-एनसीआर जिलों की तुलना में एनसीआर
जिलो का जनसंख्या घनत्व अधिक है। इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग ने इन क्षेत्रों में कड़ी मेहनत की है
जिसके फलस्वरूप हम ऐसा करने में सफल रहे हैं।
आईडीएसपी निदेशक डॉ उषा गुप्ता ने बताया कि इसके अध्ययन हेतु सभी जिलों के लिए सर्वेक्षण दल गठित
किए गए, जिन्होंने शहरी क्षेत्रो में 350 और ग्रामीण क्षत्रों में 500 की आबादी कवर करते हुए प्रत्येक जिले से 850
नमूने एकत्र किए गए। इसके लिए “एक स्तरीकृत मल्टीस्टेज यादृच्छिक (रेंडम) नमूनाकरण तकनीकइस्तेमाल
किया गया था। इसके लिए कुल 16 समूहों यानी 12 ग्रामीण और 4 शहरी समूहों का चयन किया गया और
चयनित व्यक्तियों की सहमति से रक्त के नमूने एकत्र किए गये। यह सर्वेक्षण सबसे बड़े सेरो प्रचलन अध्ययनों में
से एक है। इसे एलिसा परीक्षण का उपयोग कर आयोजित किया गया जोकि सर्वेक्षण का डेटा डिजिटल का
उपयोग करके एकत्र किया गया था।