भारत और चीन की कोरोना वायरस की पहली फोटो कैसी है, देखिए

दुनिया के करीब 200 देशों में कहर मचा रहे कोरोना वायरस की भारत में तस्वीर जारी हुई है। भारतीय वैज्ञानिकों ने कोविड-19 बीमारी के वाहक बने कोरोना वायरस की तस्वीर खींचने में कामयाबी हासिल की है। पुणे के वैज्ञानिकों ने ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप इमेजिंग का इस्तेमाल करके यह तस्वीर खींची। वैज्ञानिकों ने भारत के पहले पुष्ट कोरोना वायरस (कोविड-19) मामले से इस तस्वीर को निकाला है, जो कि 30 जनवरी को केरल में सामने आया था। यह पहला अवसर है जब भारतीय वैज्ञानिकों ने इस वायरस की तस्वीर जारी की है। हालांकि, चीन इससे पहले अपने यहां कोरोना वायरस की तस्वीर जारी कर चुका है।

चीनी वेबसाइट सीजीटीएन के मुताबिक, चीन में करीब 24 जनवरी को कोरोना वायरस की पहली तस्वीर जारी की गई थी। कोरोना वायरस की पहली इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप तस्वीर और कोरोना वायरस के बारे में अधिक जानकारी जनवरी में ही नेशनल रिसोर्सेस बैंक फॉर पाथोजेनिक माइक्रोऑर्गनिज्म द्वारा जारी किया गया। इसी कोरोना वायरस ने चीन के वुहान शहर में तबाही मचाई और वहां करीब 3300 लोग इससे मारे गए। कोरोना वायरस के हाई रिजोल्यूशन तस्वीर के अलावा, इसके जेनेटिक उद्भव और वायरस पृथक्करण स्रोत को भी सार्वजनिक किया गया। इस सूचना के अधार पर ही दुनियाभर के वैज्ञानिक आगे के शोध में सक्षम हुए।

वहीं, भारत में पुणे के वैज्ञानिकों ने ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप इमेजिंग का इस्तेमाल करके यह तस्वीर खींची। इसे इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित भी किया गया है। कोविड-19 रोग फैलाने वाले इस वायरस का वैज्ञानिक का नाम सार्स-कोव-2 है जिसे बोल चाल की भाषा में कोरोना कहा जा रहा है। इस वायरस को 30 जनवरी को भारत के पहले कोरोना संक्रमित मरीज में पाया गया था। यह वायरस क्राउन (मुकुट) जैसा दिखता है इसलिए इसे कोरोना नाम दिया गया। लैटिन भाषा में कोरोना का अर्थ-मुकुट होता है। इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के पूर्व निदेशक डॉ. निर्मल गांगुली कहते हैं कि यह वायरस पहले ग्राहक कोशिका (रिसेप्टर सेल) से चिपकता है फिर उसमें समाहित हो जाता है।

वायरस के उत्परिवर्तन को समझने के लिहाज से यह तस्वीर महत्वपूर्ण है। इससे वायरस के जेनेटिक उद्भव को समझने में मदद मिलेगी। यह भी जान सकेंगे कि यह जानवरों से इंसानों में किस तरह प्रवेश करता है या इंसान से इंसान में किस गति से पहुंचता है। इन सवालों का जवाब मिलते ही इसके खिलाफ कारगर दवा तैयार करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

admin2

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *