सीएए विरोधी हिंसा के चलते तीन दिन तक धूं-धूं कर जले उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिले में जुमे की नमाज की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जिले में तैनात पुलिस और खुफिया तंत्र ने गुरुवार दोपहर से ही इलाके में मौजूद मस्जिदों की सूची बनाना शुरू कर दिया था। पता चला कि सबसे ज्यादा मस्जिदें मुस्तफाबाद, नूर-ए-इलाही इलाके में हैं। इन इलाकों के अलावा भी जिन अन्य इलाकों में भी मस्जिदें हैं वहां के लोगों से पुलिस ने गुरुवार देर रात तक संपर्क किया।
मस्जिदों की सूची बनवाते समय पुलिस ने यह भी आंकड़ा जुटाया कि किस मस्जिद पर कितने लोगों की भीड़ मौजूद हो सकती है। साथ ही उन लोगों को भी चिन्हित कर लिया, जो जुमे की नमाज के दौरान खुराफात कर सकते हैं। मिले आंकड़ों के अनुसार ही संबंधित इलाकों में और मस्जिदों पर शुक्रवार सुबह से ही पुलिस, खुफिया तंत्र और अर्द्धसैनिक बल तैनात कर दिए गए हैं।
जाफराबाद दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराई जा चुकी दिल्ली पुलिस अब हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है ताकि फिर कहीं कोई आफत सिर न आन पड़े। इसी क्रम में सभी संवेदनशील इलाकों में दिन-रात गश्त की जा रही है। इलाके के जिम्मेदार लोगों के साथ पुलिस अधिकारी स्वयं लगातार संपर्क में हैं।
न्यूज एजेंसी आईएनएस के मुताबिक, थानों की फोर्स तो इलाके में 24 घंटे गश्त पर मौजूद है ही, साथ ही साथ क्राइम ब्रांच के अफसर भी तैनात किए गए हैं। गुरुवार शाम के वक्त इसका सबूत तब मिला जब दंगों में सबसे ज्यादा तबाह हुए मुस्तफाबाद इलाके में क्राइम ब्रांच में तैनात इंस्पेक्टर विनय त्यागी को खुद उस इलाके में मौजूद देखा गया। दंगा प्रभावित इलाकों में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के अफसरों की तैनाती भी इस बात का सबूत है कि उत्तर-पूर्वी जिला जल चुकने के बाद दिल्ली पुलिस अब बेहद सतर्क है।
दंगे में सबसे ज्यादा तबाह हुए शिव विहार और ओल्ड मुस्तफाबाद इलाके में तैनात डीसीपी (क्राइम) आईपीएस राजन भगत ने शुक्रवार सुबह बताया कि हम लोग गली-गली में घूम रहे हैं। इसकी दो वजह हैं। पहली वजह कहीं कोई परिवार घर के अंदर डर की वजह से फंसा न हो। दूसरी वजह किसी भी संवेदनशील इलाके में लोग इकट्ठे होकर अफवाहों को जन्म न दे रहे हों। हमारा मकसद लोगों के मन से भय निकालना है। आमजन को लगना चाहिए कि अब इलाके में डर वाली कोई बात नहीं है।