अदालत ने सुनवाई के बाद 18 जनवरी को आरोपी मनोज शाह व प्रदीप कुमार को अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट सहित कई संगीन धाराओं में दोषी ठहराया था। इन दोषियों को उम्र कैद तक की सजा सुनाई जा सकती है।
पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर इलाके में 13 अप्रैल, 2013 को दोषियों ने इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया था। इस घटना के बाद बच्ची को मरा समझकर एक कमरे में छोड़ दोनों आरोपी फरार हो गए थे। पुलिस ने दोनों को एक सप्ताह में ही मुजफ्फरपुर और दरभंगा से गिरफ्तार कर लिया था।
अदालत ने फैसले में कहा कि जहां हमारे समाज में छोटी बच्चियों की कुछ खास त्योहारों पर भगवान की तरह पूजा की जाती है, वहीं आरोपियों ने बच्ची के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। इस घटना के बाद बच्ची की कई बार सर्जरी हुई थी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान 2014 में प्रदीप कुमार ने अर्जी दायर कर घटना के समय खुद को नाबालिग बताया था। कोर्ट ने इसके बाद मामला जेजे बेार्ड को भेज दिया था और आरोपी को 2017 में जमानत मिल गई थी। बच्ची की मां ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 2018 में फैसला सुनाते हुए कहा था कि घटना के वक्त प्रदीप नाबालिग नहीं था।