गुजरात में आठ वर्ष के पुत्र का धर्मांतरण कराने के लिए उसकी मां के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। महिला ने बच्चे के पिता व जिला कलक्टर से मंजूरी लिए बिना उसका धर्म परिवर्तन करा दिया था। बच्चा जन्म से हिंदू था। मगर धर्मांतरण कराकर उसे ईसाई बनाया गया था।
आणंद जिला कलक्टर आरजी गोहिल ने गत तीन जनवरी, 2020 को एक आदेश जारी कर बच्चे का धर्मांतरण कराने के लिए उसकी मां के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने को कहा गया था।
फॉरम फॉर पीस एंड जस्टिस के संचालक धर्मेंद्र राठौड के मुताबिक, गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट के मुताबिक जिला कलक्टर की मंजूरी के बिना कोई भी व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन नहीं कर सकता है। अगर मामला नाबालिग से जुड़ा हो तो उसके माता व पिता दोनों की मंजूरी से ही बच्चा धर्म परिवर्तन कर सकता है। राठौड बताते हैं कि लालच या भय दिखाकर किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कराया जा सके, उसके लिए यह कानून बनाया गया था।
सामाजिक कार्यकर्ता मंजूला प्रदीप बताते हैं कि गत आठ अप्रैल, 2012 को 42 वर्षीय महिला अपने आठ साल के पुत्र के साथ कैथोलिक चर्च में बेपटिस्ट के एक समारोह में लेकर गई थी। यह समारोह लोगों के धर्मपरिवर्तन तथा संतानविहीन को बच्चा गोद दिए जाने के लिया आयोजित किया गया था। अपने बच्चे का धर्म परिवर्तन कराने के लिए ही उक्त महिला के खिलाफ कानून की धारा तीन व चार के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसके तहत उसे तीन साल तक की सजा तथा 50 हजार रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है।
पीस एंड जस्टिस के धर्मेंद्र राठौड बताते हैं कि सबसे पहले वर्ष 2013 में बच्चे के पिता ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस मामले की शिकायत की थी। तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव ने गुजरात सरकार को इस मामले की जांच करने को कहा, लेकिन सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया। राठौड की शिकायत के करीब सात साल बाद जिला कलक्टर ने इस पर संज्ञान लेकर पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया।