राजस्थान में शुक्रवार से विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो गया है। इस सत्र में शनिवार को सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। सरकार इस प्रस्ताव को पारित कराने को लेकर सदन में चर्चा कराएगी, वहीं भाजपा इसका विरोध करेगी।
पंजाब और केरल में पारित किया जा चुका है
गौरतलब है कि केरल और पंजाब विधानसभा में इस तरह का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है।
राज्यपाल के अभिभाषण का भाजपा ने किया बहिष्कार
विधानसभा सत्र की शुरुआत शुक्रवार को हंगामेदार रही। राज्यपाल कलराज मिश्र के अभिभाषण का भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने बहिष्कार किया। राज्यपाल ने जैसे ही अभिभाषण पढ़ना प्रारंभ किया तो विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने बोलना शुरू कर दिया। कटारिया का कहना था कि यह सत्र नियम विरुद्ध बुलाया गया। सत्र बुलाने के लिए 21 दिन पहले नोटिस जारी करना जरूरी होता है। भाजपा के विधायक भी कटारिया के साथ बोलने लगे। कटारिया लगातार बोलते रहे और राज्यपाल अपना भाषण पढ़ते रहे। इसके बाद भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायकों ने सदन से बहिष्कार कर दिया। अभिभाषण में राज्यपाल ने अशोक गहलोत सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख किया। अभिभाषण के बाद सदन की कार्रवाई शनिवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई।
एससी-एसटी आरक्षण के प्रस्ताव पर लगेगी मुहर
शनिवार को अनुसूचति जाति-अनुसूचति जनताति (एससी-एसटी) आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाने को लेकर 126वें संविधान संशोधन विधेयक-2019 पर मुहर लगाई जाएगी। संसद और राज्य विधानसभाओं में संविधान के अनुच्छेद-334 के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान है। इस प्रावधान को आगे बढ़ाने के लिए विधानसभाओं की ओर से प्रस्ताव पारित कराया जाना आवश्यक है। लोकसभा एवं राज्यसभा में इस पारित कराया जा चुका है।
भाजपा विधायक दल में नजर आई फूट
विधानसभा सत्र के पहले दिन शुक्रवार को भाजपा विधायक दल में फूट नजर आई। विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित सभी भाजपा विधायक सदन से बाहर चले गए, लेकिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल अपनी सीट पर ही बैठे रहे। मेघवाल को बाहर बुलाने के लिए कटारिया सहित अन्य नेताओं ने सदन में दो बार पर्ची भेजी, लेकिन वे बाहर नहीं गए।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल नाराज नजर आए
हालांकि, काफी देर बाद नाराजगी जताते हुए कहा कि जब 2019 में नई सरकार बनी थी तो विधानसभा अध्यक्ष पद पर मैं ही था। उस समय गहलोत सरकार ने शॉर्ट टर्म नोटिस पर विधानसभा सत्र बुलाया था, जिसका मैंने विरोध किया था, लेकिन भाजपा के अन्य विधायकों ने इस पर कुछ नहीं कहा। भाजपा के विधायकों ने इसका विरोध नहीं किया था। इस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने हस्तक्षेप कर मेघवाल की नाराजगी दूर की।
विश्व हिंदू परिषद साधु-संतों को गांव-गांव में भेजकर आम जनता को सीएए के खिलाफ फैलाये जा रहे भ्रम के निवारण की तैयारी में जुटा है। इसके साथ ही विहिप ने सीएए के समर्थन में प्रदर्शनों पर हिंसक हमले के खिलाफ गहरी नाराजगी जताते हुए आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।
सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के पीछे देश विरोधी शक्तियां सक्रिय– विहिप
सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंदुओं पर हमले के बाद विहिप भी मैदान में उतर आया है। विहिप के महासचिव मिलिंग परांडे ने आरोप लगाया कि इसके पीछे देश विरोधी शक्तियां सक्रिय हैं। कश्मीर के मुद्दे का, जिसका सीएए से कोई लेना-देना नहीं है, विरोध प्रदर्शनों के दौरान सामने आना इसका सबूत है। उन्होंने पिछले दिनों विहिप मार्गदर्शक मंडल में आम जनता को सीएए की हकीकत से आम जनता को अवगत कराने का फैसला किया गया। इसके तहत देश के साधु-संत इसके लिए देश के गांव-गांव में प्रवास करेंगे।
सीएए समर्थन रैली पर हिंसक हमला, आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
विहिप ने लोहरदगा में सीएए के समर्थन में निकली रैली पर हिंसक हमले की निंदा करते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। विहिप ने साफ किया कि सब्र की सीमा होती है। यदि राज्य सरकारें हिंसा करने वाले आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है, इससे हिंसा को उनके परोक्ष समर्थन का संदेश जाएगा।