सुप्रीम कोर्ट ने देवेंद्र फडणवीस की खुली अदालत में सुनवाई की मांग मानी, लगा है झूठे हलफनामे का आरोप

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर चुनावी हलफनामे में उनके खिलाफ दो आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाने का आरोप है। अब इस मामले में उन्हें कोर्ट द्रारा राहत मिली है। कोर्ट ने देवेंद्र फडणवीस की पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की मांग मान ली है। इसके बाद अब चुनावी हलफनामे मामले की सुनवाई खुली अदालत में होगी, जैसे की फडणवीस की मांग थी।

सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस के 2014 के चुनावी हलफनामे में दो आपराधिक केसों की जानकारी छिपाने के मामले में नागपुर की कोर्ट को ट्रायल फिर से चलाने का आदेश दिया गया था। हालांकि, अब कोर्ट फडणवीस की पुनर्विचार याचिका यानी खुली अदालत में सुनवाई की मांग पर राजी हो गया है।

पिछले साल फडणवीस को नागपुर पुलिस ने समन भी भेजा था। जानकारी के मुताबाक, इस मामले ने तेजी तब पकड़ी जब महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली नई सरकार ने शपथ ली। बता दें कि फडणवीस नागपुर से विधायक हैं।

मजिस्ट्रेट अदालत ने 1 नवंबर को एक आवेदन पर सुनवाई की थी, जिसमें कथित रूप से खुलासा न करने के लिए भाजपा नेता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की मांग की गई थी। शहर के वकील सतीश उके ने अदालत में एक आवेदन दायर कर मांग की थी कि फडणवीस के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाए।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत के पहले के आदेश पर उके की याचिका को खारिज कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर को मजिस्ट्रेट की अदालत को उके द्वारा दायर आवेदन के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया। 4 नवंबर को मजिस्ट्रेट की अदालत ने कहा कि इस मामले को आपराधिक मामले के रूप में रखा जाएगा और नोटिस जारी किया जाएगा

मजिस्ट्रेट एस डी मेहता ने कहा, ‘आरोपी (फडणवीस) के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 ए के तहत अपराध के लिए दंडात्मक कार्रवाई जारी है।’ बता दें कि 1996 और 1998 में फडणवीस के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन दोनों मामलों में आरोप तय नहीं हुए थे। उके ने आरोप लगाया कि फडणवीस ने अपने चुनावी हलफनामों में इस जानकारी का खुलासा नहीं किया।

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