राजस्थान के कोटा में बच्चों की मौत को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट में तकरार बढ़ी

कोटा के एक सरकारी अस्पताल में 100 से ज्यादा शिशुओं की मौत को लेकर राजस्थान सरकार के भीतर घमासान मच गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जुबानी जंग मंगलवार को भी जारी रही। सचिन पायलट ने कहा कि जिन परिवारों ने अपना बच्चा खोया है, उनके घर जाने की परंपरा शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने यह बात सीएम अशोक गहलोत के उस बयान के जवाब में कही जिसमें उन्होंने कहा था कि अपना शिशु खोने वाले परिवारों के घर जाने का कोई तुक नहीं है। गहलोत ने कहा था, ‘इन लोगों को राजस्थान की परंपरा के बारे में पता नहीं है. गहलोत ने कहा कि जब नवजात बच्चा मरता है, तो उसके माता-पिता को बेहद दुख होता है, परिवार वाले सदमे में रहते हैं। ऐसे में उनके घर जाकर बैठने का तुक नहीं होता है, हम उनके घरों में बैठने जाएं, कभी नहीं होता है।’ सीएम का नाम लिए बगैर पायलट ने जवाब में कहा कि अगर ऐसी कोई परंपरा है तो खत्म किया जाना चाहिए और नई परंपरा शुरू होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से कई बार महिलाओं के घूंघट से परहेज करने के बयान पर सचिन पायलट ने प्रदेश पार्टी ऑफिस में कहा, ‘एक तरफ हम गलत परंपराओं को खत्म करने की बात कर रहे हैं, हम कहते हैं कि महिलाओं को घूंघट से बचना चाहिए, हम अच्छी परंपरा की बात करते हैं। अगर किसी घर में नवजात की मौत होती है, और शोक में डूबे परिवारों के आंसू पोंछने के लिए उनके घर जाने की परंपरा नहीं है तो ऐसी परंपरा शुरू होनी चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पीड़ित परिवार का दुख बांटे। शिशुओं की मौत पर कोई तीये या तेहरवीं का कार्यक्रम नहीं होता, लेकिन उनके मां-बाप के आंसू पोंछने की जिम्मेदारी हम सबकी है।

इससे पहले गहलोत ने प्रदेश पार्टी अध्यक्ष सचिन पायलट पर निशाना साधा था। सचिन पायलट ने कोटा जाकर शिशुओं के परिवारों से मुलाकात की थी। इस पर गहलोत ने पार्टी ऑफिस पर मीडिया से कहा था कि मैंने आज तक कभी सुना नहीं कि शिशु मृत्युदर के अंदर कोई शिशु मर जाए, नहीं बच पाया और उसके यहां हम बैठने जाएं। सीएम ने कहा कि ये जो राजनीति की गई है, वो अनफॉर्च्यून राजनीति थी।

कोटा में जेके लोन अस्पताल का दौरा और पीड़िता परिवारों से मिलने के बाद सचिन पायलट ने कहा था कि इस मामले पर हमारी सरकार की प्रतिक्रिया किसी भी तरह संतोषजनक नहीं है। हमें और अधिक संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए था।’ उन्होंने कहा था, ‘आज हम लोगों को जवाबदेही तय करनी पड़ेगी क्योंकि जब इतने कम समय में इतने सारे बच्चे मरे हैं तो कोई ना कोई कारण रहे होंगे।
उन्होंने कहा था कि पहले क्या हुआ, कितना हुआ कैसे हुआ वो चर्चा ना करके हमें तो लोगों को यह विश्वास दिलाना होगा कि इस प्रकार की घटनाओं को हम स्वीकार नहीं करेंगे। एक साल से हम लोग शासन चला रहे है तो हमारी जनता के प्रति जवादेही है और हमारी जिम्मेदारी बनती है।

सीएम गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पालयट के इस जुबानी जंग से पार्टी और सरकार के बीच चल रही खींचतान एक बार फिर साफ हो गई है। इससे पहले भी कई ऐसे मौके आए हैं जो दोनों के बीच मतभेद होने के संकेत मिले।

गौरतलब है कि दिसंबर, 2018 में अशोक गहलोत ने सीएम पद की शपथ ली थी। सचिन पायलट सीएम पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने सीएम की कुर्सी अशोक गहलोत को सौंपी।

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