जीएसटी 28% से घटाकर 18% किया जाए, क्योंकि बीएस-6 से मैन्युफैक्चरिंग 8-10% महंगी हुई

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी एक फरवरी को संसद में आम बजट पेश करेंगी। इस पर सबकी नजरें हैं। देश का ऑटो सेक्टर एक साल से मुश्किल दौर से गुजर रहा है। 2019 में वाहनों की बिक्री दो दशक में सबसे कम रही। जबकि ऑटो सेक्टर का देश के जीडीपी में 7.1%, मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में 49% योगदान है। जीएसटी कलेक्शन में 15% हिस्सेदारी है। ऐसे परिदृश्य में सेक्टर की गतिविधियों में तेजी के लिए वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटो मोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) और कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों के संगठन ऑटोमोटिव कम्पोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एक्मा) ने सरकार से बड़े वित्तीय उपायों की मांग की है। इसमें बीएस-6 मानक के असर से निपटने के लिए वाहनों पर जीएसटी रेट 28% से घटाकर 18% करने, इंसेटिव आधारित स्क्रैपेज पॉलिसी लाने, लिथियम ऑयन बैटरी पर इम्पोर्ट ड्यूटी खत्म करने और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने की मांग शामिल है।

वाहनों के रेट बढ़ने से मांग घटने की आशंका

सूत्रों के मुताबिक, बीएस-6 उत्सर्जन मानक प्रदूषण घटाने की दिशा में अच्छा कदम है। लेकिन इससे वाहनों की लागत 8-10% बढ़ जाएगी। जबकि इन पर जीएसटी रेट 28% है। इसमें रजिस्ट्रेशन चार्ज, सरचार्ज और रोड टैक्स आदि को भी मिला दें, तो ग्राहक को वाहन खरीदने पर 40-45% के बीच टैक्स अदा करना होगा। वाहनों के दाम बढ़ने से उनकी मांग घटेगी। ऑटो सेक्टर की मांग है कि बीएस-6 मानक वाले वाहनों और इनके पार्ट्स पर जीएसटी की दर आगामी अप्रैल से 28% से घटाकर 18% की जानी चाहिए। हालांकि यह सीधा बजट से जुड़ा मसला नहीं है क्योंकि जीएसटी रेट तय करने का फैसला जीएसटी काउंसिल करती है। लेकिन सेक्टर की मांग में तेजी लाने के लिहाज से बजट एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। जीएसटी रेट में कटौती करने से बीएस-6 मानक लागू होने से बढ़ी लागत का भार कुछ कम होगा। ऑटो सेक्टर का कहना है कि इन्सेंटिव आधारित स्क्रैपेज पॉलिसी लाई जाए, पुराने वाहनों के लिए री-रजिस्ट्रेशन चार्ज बढ़ाया जाए।

एल-आई बैटरी सेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी खत्म हो

इलेक्ट्रिक वाहनों के लिथियम ऑयन (एल-आई) बैटरी सेल पर 5% इम्पोर्ट ड्यूटी लग रही है। एल-आई बैटरी सेल पर आयात शुल्क खत्म कर देना चाहिए। इनकी देश में ही मैन्युफैक्चरिंग होने से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का बढ़ावा मिलेगा। साथ ही आंत्रप्रेन्योर्स, एसएमई, नौकरियां और राज्यों के लिए राजस्व पैदा करने के अवसर मिलेंगे।

स्क्रैपेज पॉलिसी में पंजीयन शुल्क में 50% छूट मिले

31 मार्च 2005 से पहले खरीदे गए वाहन सड़कों से हटने चाहिए। स्क्रैपेज सेंटर खोलने और पुराने वाहनों के री-रजिस्ट्रेशन की फीस बढ़ाने से लोग इनके उपयोगी जीवनकाल के बाद इन्हें इस्तेमाल करने से बचेंगे। स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत जीएसटी, रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क में 50% छूट दी जा सकती है।

वाहनों पर डेप्रिसिएशन की दर बढ़ाकर 25% की जाए

सरकार ने हाल में 31 मार्च 2020 से खरीदे जाने वाले सभी प्रकार के वाहनों के लिए डेप्रिसिएशन की दर बढ़ाकर 15% की है। यह शॉर्ट टर्म में वाहनों की मांग बढ़ाने का एक अस्थायी उपाय है। सभी प्रकार के वाहनों पर डेप्रिसिएशन की दर बढ़ाकर 25% की जानी चाहिए। इससे भी वाहनों की मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी।

ई-बसों के लिए अधिक राशि का आवंटन हो

भारत में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बहुत कम 7% हिस्सेदारी है। जबकि दुनिया के कई देशों में इसका प्रतिशत 30-35% तक है। एक मजबूत पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम होने से सड़कों से वाहनों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी। सरकार को फेम-2 के तहत राज्यों के सड़क परिवहन निगमों द्वारा ई-बसों की खरीद के लिए राशि का आवंटन बढ़ाना चाहिए।

पिछले साल 13.77% कम बिके वाहन

वर्ष वाहन बिक्री (यूनिट)
2018 2,67,58,787
2019 2,30,73,438

(थोक बिक्री के आंकड़ों में यात्री वाहन, दोपहिया और कमर्शियल वाहन शामिल हैं।)

वाहन बिक्री में गिरावट के तीन प्रमुख कारण
1. ग्राहक सेंटीमेंट कमजोर होना।
2.  ग्रामीण मांग का कमजोर होना।
3. इकोनॉमी में सुस्ती का रुख।

ऑटो कम्पोनेंट पर जीएसटी के दो रेट हैं, सिर्फ 18% की दर होनी चाहिए

हमने बजट में बीएस-6 वाहनों पर जीएसटी घटाने, इंसेटिव स्क्रैपेज पॉलिसी लाने, ई-बसों की खरीद के लिए अधिक राशि आवंटन करने का अनुरोध किया है।
-राजन वढेरा, प्रेसिडेंट, सियाम

ऑटो उद्योग सिर्फ मांग में कमी से जूझ रहा है। यह सरकार पर है कि वह वाहनों की मांग में तेजी लाने के लिए क्या उपाय करती है। वाहनों की मांग कैसे बढ़े इस पर फैसला सरकार को ही करना है।
-आरसी भार्गव, चेयरमैन, मारुति-सुजुकी इंडिया
60% ऑटो कम्पोनेंट्स पर 18% और 40% ऑटो कम्पोनेंट्स पर 28% की दर से जीएसटी लग रहा है। हमने सरकार से इसे एक दर 18% करने की मांग की है

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