स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कार्यालयों में अब अफसर, डॉक्टर और स्टाफ कर्मी गायब मिले तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। सरकार ने फरलो को लेकर कड़ा आदेश जारी किया है। आदेशों के तहत अब ‘मूवमेंट रजिस्टर’ की पाबंदी रहेगी। स्वास्थ्य मंत्री के पास लगातार अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी के दौरान नदारद रहने की शिकायतें पहुंच रही हैं, जिसके मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।
इस संदर्भ में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के पास इस तरह की शिकायतें पहुंच रही हैं कि सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक, प्राथमिक व उप स्वास्थ्य केंद्रों में अफसर, डॉक्टर व अन्य स्टाफ ड्यूटी के दौरान बिना सूचना के नदारद रहते हैं।
डॉक्टर साहब कहां गए हैं, पूछने पर भी मरीजों व तीमारदारों को इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल पाती। जिसके चलते उन्हें ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं ग्रामीण अंचलों के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में तो हालात और ज्यादा गंभीर हैं, क्योंकि वहां स्टाफ कब आता है, कब जाता है, मरीजों व तीमारदारों को कुछ मालूम नहीं चल पाता।
जाने से पहले आला अफसर की अनुमति भी लेनी होगी
अब इस तरह की फरलो डॉक्टरों, अधिकारियों व अन्य स्टाफ के लिए आसान नहीं रहेगी। स्वास्थ्य मंत्री ने आला अफसरों से कहा है कि स्वास्थ्य निदेशालय स्तर से लेकर उप स्वास्थ्य केंद्रों तक के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देश दिए जाएं कि वे अपने कार्यालयों, अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में मूवमेंट रजिस्टर लगाएं।
अपने कार्यालय या अस्तपाल से किसी अफसर व कर्मचारी को किसी सरकारी काम से यदि कहीं जाना भी पड़े, तो उससे पहले वे अपने आला अधिकारी की अनुमति लेगा। अनुमति लेने के बाद वे मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री करेगा। उसके बाद ही वे अस्पताल व कार्यालय से बाहर जाएगा। मंत्री के अनुसार इससे न तो भविष्य में उन्हें कोई दिक्कत होगी और आमजन व मरीजों को भी मालूम चल सकेगा कि संबंधित डाक्टर व कर्मचारी कहां गए हैं।
महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं कार्यालय की ओर से सेहत मंत्री अनिल विज के ये निर्देश निदेशालय स्तर पर सभी निदेशकों, उप निदेशकों, सभी जिलों के सिविल सर्जनस, सभी प्रधान चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी सभी शाखाओं प्रभारियों को भेजते हुए उनसे कहा गया है कि तुरंत प्रभाव से मंत्री के उक्त निर्देशों की पालना करवाई जाए। विभागीय सूत्रों ने बताया कि इस व्यवस्था के बाद स्वास्थ्य मंत्री अस्पतालों, निदेशालय व स्वास्थ्य केंद्रों में औचक निरीक्षण भी कर सकते हैं।