रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शुक्रवार से आदिवासी परंपरा के सांस्कृतिक रंग बिखरना शुरू हो गए हैं। आदिवासी थाप पर देश और दुनिया के साथ पूरा प्रदेश थिरक रहा है। राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव के दौरान देश और दुनिया की आदि परंपराओं को मंच पर जीवंत किया जा रहा है। महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार सुबह से दोपहर तक उत्तर से दक्षिण तक के अादिवासी संस्कृति के रंग दिखाई दिए। इससे एक दिन पहले शुक्रवार रात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी विदेशी कलाकारों के साथ नृत्य करते दिखाई दिए।
रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में हो रहे आयोजन में पूर्व से दक्षिण भारत और श्रीलंका से थाईलैंड तक आदिवासी परंपरा का संगीत और नृत्य मंच पर थिरक रहा है। सुबह राज्यपाल अनुसुईया उईके मुख्य अतिथि के तौर पर महोत्सव में शामिल हुईं। शुक्रवार से शुरू हुए इस महोत्सव के दौरान रात में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक बार फिर पहुुंचे। उन्होंने वहां बेलारूस के कलाकारों के साथ नृत्य किया। मुख्यमंत्री को नृत्य करता देख पीसीसी चीफ मोहन मरकाम भी शामिल हो गए।
सुबह राजस्थान के कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य प्रस्तुत किया। लद्दाख से आए आदिवासी कलाकारों ने मंच पर नृत्य के माध्यम से अपने विवाह संस्कारों की झलक दिखाई। इनके अलावा गुजरात, अांध्र प्रदेश, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम और मध्य प्रदेश के कलाकारों ने नृत्य किया। वहीं बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, यूगांडा के कलाकारों ने अपनी संस्कृति और नृत्य से मन मोह लिया। महोत्सव के लिए चार हजार दर्शकों की क्षमता वाला विशाल डोम तैयार किया गया है। इसमें ग्रीन रूम, फूड जोन और शिल्म ग्राम भी सजा है।
महोत्सव के दूसरे दिन (28 दिसंबर) : लद्दाख, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, बेलारूस और छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों के कलाकारों की ओर से रंगारंग प्रस्तुति दी जाएगी।
- सुबह 9 बजे से : गुजरात का वसावा, आंध्रप्रदेश का ढिमसा, त्रिपुरा का ममिता, झारखंड का पायका, तमिलनाडु का टोडा, अरूणाचल प्रदेश का आदि, राजस्थान का गवरी, छत्तीसगढ़ के कोंडागांव का हुल्की सहित असम और मध्यप्रदेश राज्य के नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे।
- दोपहर 12.50 बजे से : श्रीलंका, थाईलैंड व मालदीव से आमंत्रित कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी।
- दोपहर 3 बजे से : गुजरात के कलाकारों का राठवा, हिमाचल प्रदेश का किन्नौरा, पश्चिम बंगाल का संथाली नृत्य का आयोजन होगा।
- शाम 5 बजे से : ओडिशा का दुरवा, बिहार का करमा, अंडमान निकोबार का निकोबारी, तेलंगाना का माथुरी, त्रिपुरा का होजागिरी, उत्तराखंड का हारूल, मणिपुर का थांगकुल व छत्तीसगढ़ का दंडामि माड़िया नृत्य प्रस्तुत होगा।
- 8.15 बजे से : बंाग्लादेश, युगांडा और बेलारूस देशों से आमंत्रित कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति होगी।
जीई रोड पर 3 दिन भारी वाहन बैन, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
आदिवासी महोत्सव के दौरान तीन दिन जीई रोड का ट्रैफिक प्रभावित रहेगा। अनुपम गार्डन से मोहबाबाजार के बीच भारी वाहन पूरी तरह से बैन रहेंगे। कारों और छोटी गाड़ियों वाले ही सड़क का उपयोग कर सकेंगे। महोत्सव की सुरक्षा में दो हजार जवान तैनात रहेंगे। महोत्सव के लिए 12 से ज्यादा आईपीएस, 20 एडिशनल एसपी, 50 डीएसपी और 125 इंस्पेक्टर रैंक के अफसरों की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा सुरक्षा के लिए अलग-अलग जिलों से 1500 जवानों को बुलाया गया है।