अहमदाबाद. नागरिकता कानून के विरोध में शहर में गुरुवार को बंद के आह्वान और विरोध प्रदर्शन के दौरान शाहआलम में पुलिस पर हुए हमले में शहर पुलिस ही जवाबदार मानी जा रही है। आईबी की गोपनीय रिपोर्ट के बाद भी हजारों की उत्तेजित भीड़ के सामने अपर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी। पुलिस वालों के हाथ में बंदूक नहीं, बल्कि लाठी थी। उन्हें जान बचाने के लिए शहर की गलियों की शरण लेनी पड़ी।
क्राइम ब्रांच-एसओजी की टीम एक घंटे बाद पहुंची
हिंसक भीड़ द्वारा आईपीएस अधिकारी, एसीपी, पीआई और अन्य पुलिसकर्मियों पर हमले के बाद भी शहर में लाॅ-एंड-ऑर्डर के लिए विख्यात अहमदाबाद क्राइम ब्रांच और एसओजी की टीम घटना के एक घंटे बाद पहुंची। इस घटना में घायल पुलिसकर्मियों को हॉस्पिटल पहुंचाने के बाद हालात काबू में आने के आधे घंटे बाद सेक्टर-2 की जेसीपी निपूर्णा तोरवणे घटनास्थल पहुंची थी। यदि पुलिस ने हवा में फायरिंग की होती, तो भीड़ बिखर जाती।
पुलिस ने धरपकड़ शुरू की,तो भीड़ ने किया पथराव
शाहआलम में रैली के लिए एक डीसीपी, 2 एसीपी समेत 50 जवानों की व्यवस्था की गई थी। पुलिस कार्पोरेटर शहजाद खान पठान समेत अन्य लोगों को हिरासत में लेती, उसके पहले ही हजारों की संख्या में दंगाई तत्वों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। हजारों की भीड़ के सामने पुलिस लाचार बन गई। उनके हाथ में बंदूक नहीं, बल्कि लाठी थी। वह कुछ भी नहीं कर पाई। देखते ही देखते दंगाइयों ने पुलिस के डंडे से ही उन्हें मारना शुरू कर दिया।
पुलिस जान बचाने में लगी रही
शाम साढ़े पांच बजे के बाद आक्रोशित भीड़ रास्ते पर आ गई, तब पुलिस ने 6 से 7 लोगों को डिटेइन करना चाहा, तो भीड़ हिंसक हो गई। पुलिस डिटेइन लोगों को लेकर जा रही थी, तब हिंसक भीड़ ने बस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इससे पुलिस ने भीड़ को बिखेरने के लिए हल्का लाठीचाजे किया। इसके बाद भी भीड़ वहीं जमी रही। भारी संख्या में लोगों ने पुलिस को टारगेट बनाना शुरू किया। अब पुलिस लाचार हो गई। उसने अपने आप को बचाना शुरू किया। कई पुलिसकर्मी शहर की गलियों में छिप गए।
क्राइम ब्रांच-एसओजी की टीम एक घंटे बाद पहुंची
पुलिस पर हमला शुरू होने के एक घंटे बाद क्राइम ब्रांच और एसओजी की टीव घटनास्थल पर पहुंची। आमतौर पर जब लॉ एंड ऑर्डर के हालात बिगड़ती है, तब उसे काबू पर पाने के लिए अहमदाबाद ब्रांच और एसओजी की मदद ली जाती है। परंतु शाहआलम में हुई घटना में क्राइम ब्रांच और एसओजी की टीम समय पर नहीं पहुंची, इससे हालात बेकाबू हो गए। भीड़ को मौका मिल गया कि वह लाचार पुलिसकर्मियों को अपना टारगेट बना ले।