रायपुर. प्रदेश में दूध और पानी के बाद अब मसालों और खाने-पीने की कई जरूरी चीजों में मिलावट का खुलासा हुआ है। फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने पिछले साल रायपुर, धमतरी, गरियाबंद और बलौदाबाजार जिले से 300 खाने-पीने की चीजों के सैंपल लिए, जिनमें 16 खतरनाक और 141 सब स्टैंडर्ड निकलने पता चला है। जांच में जिन 16 चीजों को अनसेफ की श्रेणी में रखा गया है, उनमें की जा रही मिलावट से कैंसर और पेट की कई गंभीर बीमारियों का खतरा है।
एफएसएसएआई ने पिछले साल अलग-अलग राज्यों से 988 सैंपल लिए थे। छत्तीसगढ़ से तीन सौ अलग-अलग चीजों के सैंपल कलेक्ट गए। अब रिपोर्ट आने से पता चला है कि खाने-पीने की चीजों में धूल के कण से लेकर हानिकारक कलर मिलाया जा रहा है। जांच के लिए लोकल मसालों के सैंपल के अलावा कुछ कंपनियों के मसाले भी लिए गए थे। जांच में नमकीन भी सब स्टैंडर्ड होने की पुष्टि हुई है।
दूध में निकला था जहरीला एल्फोटोक्सिन एम-1
ड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआई) की जांच में इसके पहले जहरीला एफ्लोटोक्सिन एम-1 मिला था। राज्य में 84 सैंपल लिए गए थे। इनमें पांच सैंपलों में यह जहरीला तत्व मिलने की पुष्टि हुई थी। डॉक्टरों के अनुसार यह लीवर, हार्ट व किडनी के लिए खतरनाक है। रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर के अलावा 16 शहरों में से डिब्बे व पैकेटबंद सैंपल लिया गया था। 15 सैंपल सब स्टैंडर्ड निकला।
ट्रेन के पेंट्रीकार में बिकने वाला पानी भी अमानक
पिछले माह कुछ ट्रेन में बिकने वाले बोतलबंद पानी भी अमानक निकलने की पुष्टि हो चुकी है। लैब की जांच में इसे स्वास्थ्य के लिए अमानक बताया है। छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस व ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के पानी में दूषित कण मिला है। फूड विभाग के अफसरों के अनुसार सस्ते के चक्कर में यात्री बोतलबंद पानी लेते हैं, लेकिन कंपनी लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। कुछ दिनों पहले छग व ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस से बोतल जब्त किया गया था। इसे ही जांच के लिए कालीबाड़ी स्थित फूड विभाग के लैब में भेजा गया था।
मसालों में लीवर-किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले कलर
एफएसएसएआई ने प्रदेश के फूड विभाग के अधिकारियों की मदद से 2018-19 में लगभग एक साल तक अलग-अलग जिलों की दुकानों में बिक रहे मसाले व पैकेटबंद सामान का सैंपल कलेक्ट किया। इसके बाद उन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया। केवल मसाले के ही 35 से ज्यादा सैंपल लिए गए थे। उनमें ज्यादातर सैंपल मानक पर खरे नहीं उतरे। मसालों में लीवर व किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले कलर मिले। इनमें धूल के कण के अलावा रस्सी के रेशे भी निकले।
आटे और मैदे में भी मिलावट
नमकीन बनाने के लिए उपयोग किया गया तेल सब स्टैंडर्ड निकला। यही नहीं नमकीन बनाने के लिए उपयोग किए गए बेसन में लाखड़ी के अलावा मटर दाल के आटे भी मिलाए जाने की पुष्टि हुई। रायपुर में लोकल स्तर पर बेसन व गेहूं आटे की पैकिंग के दौरान मिलावट का खुलासा हुआ। अधिकारियों का कहना है गेहूं आटे में मैदे की मिलावट के सबूत मिले हैं। पैकेटबंद खाने की चीजों में नमकीन में मिलावट की पुष्टि हुई।
यहां से भी लिए गए सैंपल
एफएसएसएआई ने पिछले साल जून से दिसंबर तक रायपुर, कोरबा, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, रायगढ़, जगदलपुर, अंबिकापुर, धमतरी, भिलाई-चरोदा, बिरगांव, चिरमिरी, भाटापारा व महासमुंद से अलग-अलग किस्म की खाने पीने की चीजों के सैंपल लिए थे। यही नहीं कुछ सैंपल में एंटीबायोटिक भी मानक स्तर से ज्यादा मिला था। पिछले साल देशभर में 50 हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले 1103 शहरों से 6432 सैंपल लिया था। इनमें 42 फीसदी सैंपल फेल हुए हैं।
एक्सपर्ट व्यू : मिलावट जानलेवा
कैंसर सर्जन डॉ. युसूफ मेमन व कार्डियक सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार दूध में एल्फोटोक्सिन एम-1 कैंसर के साथ हार्ट की बीमारी हो सकती है। खाने की चीजों में खतरनाक रसायन होता है। पेट संबंधी बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। यही नहीं लंबे समय बाद किसी की मौत भी हाे सकती है।
लगातार हो रही जांच
खाने की चीजों की लगातार जांच की जा रही है। जिन कंपनियों के सैंपल फेल हुए हैं, उनके खिलाफ फूड सेफ्टी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। – डॉ. राजेश शुक्ला, असिस्टेंट कमिश्नर फूड