नागरिकता विधेयक को लेकर भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के अंदर दो हिस्से हो गए हैं। सबसे पहले पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इसपर सवाल खड़े किए। इसके बाद पवन वर्मा ने भी विरोध के सुर अलापे। जिसके बाद पार्टी ने दोनों को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि पार्टी लाइन से हटकर बोलने वालों के विचार उनके निजी हो सकते हैं। ऐसे लोगों को इधर-उधर बोलने की बजाए पार्टी फोरम में अपनी बात रखनी चाहिए। हालांकि गुरुवार को फिर प्रशांत किशोर ने विधेयक के विरोध में ट्वीट किया है। उनका कहना है कि यह धर्म के आधार पर प्रताड़ित करने का आधार बनेगा।
बुधवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि जो भी नेता अनावश्यक बयान दे रहे हैं उससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। चाहे कोई भी हो उसे नीतीश कुमार के व्यवक्तित्व, नेतृत्व और फैसले पर सवाल उठाने की किसी को इजाजत नहीं है।
प्रशांत किशोर ने दिलाई थी 2015 में मिले जनसमर्थन की याद
पार्टी ने जब नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन करने का फैसला लिया उसके बाद प्रशांत किशोर ने 2015 में मिले जनसमर्थन की याद दिलाई। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने से पहले जदयू नेतृत्व को उन लोगों के बारे में एक बार जरूर सोचना चाहिए जिन्होंने साल 2015 में उन पर विश्वास और भरोसा जताया था। हमें नहीं भूलना चाहिए कि 2015 क विधानसभा चुनाव में जीत के लिए जदयू और इसके प्रबंधकों के पास बहुत रास्ते नहीं बचे थे।’