मम्प्स के शुरुआती लक्षण अक्सर हल्के होते हैं। बहुत से लोगों में तो कोई भी लक्षण नहीं होते और उन्हें पता भी नहीं होता कि वे संक्रमित हैं। हालांकि संक्रमण बढ़ने के साथ रोग का खतरा अधिक होता जाता है। शुरुआत में गले में सूजन के साथ बुखार, सिरदर्द-मांसपेशियों में दर्द, थकान,भूख में कमी जैसी दिक्कत हो सकती हैं। रोगी के पैरोटिड ग्रंथियों में सूजन हो सकती है। आपकी पैरोटिड ग्रंथियां लार ग्रंथियां हैं जो आपके कान और जबड़े के बीच स्थित होती हैं। इससे रोगी के गाल और जबड़ा सूज जाता है। वैसे तो इस रोग से पीड़ित अधिकांश लोग दो सप्ताह के भीतर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। हालांकि कुछ लोगों में इसके गंभीर रूप लेने का भी खतरा हो सकता है। कुछ लोगों में इसके कारण बहरेपन का खतरा हो सकता हांलांकि अधिकतर लोगों में सुनने की क्षमता वापस भी आ जाती है।
मम्प्स से बचाव कैसे करें?
मम्प्स बहुत ही संक्रामक वायरल संक्रमण है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के लार के सीधे संपर्क से या संक्रमित व्यक्ति के नाक, मुंह या गले से निकलने वाली श्वसन बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मम्प्स की रोकथाम के लिए मेसल्स-मंप्स और रूबेला (एमएमआर वैक्सीन) प्रभावी मानी जाती है जो संक्रमण और गंभीर रोग के खतरे से बचा सकती है। वायरल संक्रमण के खतरे से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से बचें और अगर आपमें लक्षण दिख रहे हैं तो समय रहते डॉक्टर से संपर्क करें।
मम्पस सबसे अधिक 2 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करता है, जिन्हें इसका टीका नहीं मिला है। हालांकि, किशोरों और वयस्कों को भी इसका संक्रमण हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ वर्षों के बाद टीके की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। फिर भी मम्प्स के संक्रमण से बचाव का सबसे अच्छा तरीका वैक्सीनेशन है जो आपको संक्रमण की स्थिति में गंभीर समस्याओं के खतरे को कम करने में सहायक है।