बिजनेस डेस्क प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) जल्द ही म्युचुअल फंड द्वारा अपनी योजनाओं में लिक्विड एसेट्स में न्यूनतम एसेट अलोकेशन को लेकर निर्देश लेकर आ सकता है। भारतीय म्युचुअल फंड एसोसिएशन की सालाना जनरल मीटिंग में बोलते हुए सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि इस तरह का कदम योजनाओं में तरलता सुधार के उद्देश्य के लिए है और यह योजना को अचानक आए रिडम्पशन दबाव को झेलने में भी मदद करेगा।
त्यागी ने कहा कि जहां तक म्युचुअल फंड इंडस्ट्री का सवाल है, तो उसने कोरोना वायरस महामारी का अच्छी तरह सामना किया है। उन्होंने कहा कि यह नियामक ढांचे की मजबूती के साथ-साथ उद्योग की परिपक्वता को भी दर्शाता है। साथ ही त्यागी ने कहा कि म्युचुअल फंड उद्योग कई चुनौतियों के दौर से गुजरा है, मुख्य रूप से डेट म्युचुअल फंड।
उन्होंने कहा, ‘इस अवधि के दौरान उत्पन्न हुए कुछ मुद्दों को अब संबोधित किया गया है और कुछ संबोधित किए जाने की प्रक्रिया में हैं। जो मुद्दे हमेशा चिंता का कारण रहे हैं, उनमें तनाव परीक्षण, तरल संपत्तियों में न्यूनतम परिसंपत्ति आवंटन और तंत्र की तरह एक अस्थिर मूल्य निर्धारण शामिल हैं।’ त्यागी ने कहा कि सभी ओपन एंडेड डेट म्युचुअल फंड योजनाओं के लिए एक तनाव परीक्षण पद्धति तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा।
त्यागी ने साथ ही कहा, ‘म्यूचुअल फंड को यह याद रखना चाहिए कि निवेश करने और उधार देने में अंतर होता है। म्यूचुअल फंड बैंक नहीं हैं और उन्हें बैंकों की तरह बर्ताव करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए तथा निवेशकों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है। हालांकि, केंद्रीय बैंक और सेबी के कदमों से अस्थिरता को कम करने में मदद मिली है।’