गणतंत्र दिवस की परेड में इस साल पश्चिम बंगाल की झांकी नजर नहीं आएगी, लेकिन परेड के दौरान जहाजरानी मंत्रालय की झांकी में 150 वर्षीय कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट (केपीटी) की झलक दिखेगी। इससे पहले बंगाल सरकार लड़कियों के लिए चलाई जाने वाली योजना कन्याश्री को गणतंत्र दिवस परेड में दिखाना चाहती थी, लेकिन झांकी के प्रस्ताव को चयन करने वाली एक्सपर्ट कमेटी ने खारिज कर दिया।
वहीं, सीएए के खिलाफ लगातार मुखर ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल की झांकी शामिल नहीं किए जाने को बदले की राजनीति करार दिया और कहा गया कि यह बंगाल की जनता का अपमान है।
पहली बार कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की होगी झांकी
गणतंत्र दिवस परेड में केपीटी की झांकी में श्रम व इंजीनियरिंग के नायाब नमूने के तौर पर कोलकाता और हावड़ा को जोड़ने वाले रवींद्र सेतु (हावड़ा ब्रिज) की पृष्ठभूमि में साइट पर काम करते मजदूर नजर आएंगे। इसके साथ में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का ऐतिहासिक क्लॉक टावर भी नजर आएगा। झांकी के आगे में हिंदी में अंग्रेजी में ‘कोलकाता पत्तन न्यास’ लिखा होगा और साथ में 150 वर्ष – गौरवशाली अतीत, उज्ज्वल भविष्य’ की टैग लाइन भी होगी।
जहाजरानी मंत्रालय की झांकी 22 झांकियों में से एक होगी। बताया जाता है कि इस वर्ष के 26 जनवरी परेड के लिए चुनी गई 22 झांकियों में 16 विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों की झांकी होगी और छह विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों की होगी।
पीएम के एलान के बाद भी झांकी में नहीं बदला नाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 जनवरी को कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नया नामकरण भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम करने की घोषणा की थी। परंतु, देखा जा रहा है कि झांकी में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट नाम लिखा ही दिख रहा है। नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ट्रस्ट नहीं है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम बदलने को लेकर विपक्ष की ओर से केंद्र सरकार की आलोचना भी की जा रही है।
बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की ओर से इसके खिलाफ में बीते दिनों विरोध जुलूस निकाला गया। वहीं, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की ट्रेड यूनियनों ने इस फैसले का विरोध किया है और कहा है कि इस कदम से संगठन के इतिहास को नुकसान पहुंचेगा। विपक्ष का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार गेम चेंजर (महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाले) के बजाय नेम चेंजर (नाम बदलने वाली) बन गई है।