नई दिल्ली विधानसभा सीट वो क्षेत्र है जिसने दिल्ली को पांच मुख्यमंत्री दिए हैं। इसी बात से इस सीट की अहमियत का अंदाजा भी लगाया जा सकता है। अरविंद केजरीवाल की सीट होने के कारण इस बार भी सभी की निगाहें नई दिल्ली विधानसभा सीट पर टिकी हुई हैं। आइए देखते हैं कैसा रहा है इस सीट का इतिहास और क्या कह रहे हैं इस बार के समीकरण-
नई दिल्ली से भाजपा को पिछले पांच चुनावों से हार का सामना करना पड़ रहा है। आखिरी बार 1993 में कीर्ति आजाद ने भाजपा को यहां से जीत दिलाई थी। उसके बाद से भाजपा यहां लगातार हार रही है। 1998 में कीर्ति आजाद को यहां से हराकर कांग्रेस की शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनीं। वह 15 साल तक यहां से जीत कर मुख्यमंत्री रहीं। 2013 में केजरीवाल ने उन्हें हराकर पूरे देश को चौंकाया और दिल्ली की गद्दी संभाली। 2015 में भी अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली से भारी मतों से जीत हासिल की।
इनमें होगी टक्कर
पार्टी |
उम्मीदवार (2020) |
उम्मीदवार (2015) |
आप |
अरविंद केजरीवाल |
अरविंद केजरीवाल |
भाजपा |
नुपूर शर्मा |
सुनील यादव |
कांग्रेस |
किरण वालिया |
रोमेश सभरवाल |
इस बार यहां से केजरीवाल को टक्कर देने के लिए भाजपा ने किसी लोकप्रिय नेता की बजाय स्थानीय चेहरे पर दांव खेला है। भाजपा की ओर से सुनील यादव केजरीवाल को टक्कर देंगे, जबकि कांग्रेस ने यहां से रोमेश सभरवाल को टिकट दिया है।
पिछली बार भाजपा ने नुपूर शर्मा और कांग्रेस ने किरण वालिया को केजरीवाल के खिलाफ खड़ा किया था, लेकिन केजरीवाल की लोकप्रियता के सामने किसी प्रत्याशी या पार्टी का प्रभाव टिक नहीं पाया। केजरीवाल ने 2015 में नई दिल्ली से रिकॉर्ड 64.34 प्रतिशत वोट से जीत हासिल की थी।
2015 चुनाव के नतीजे
पार्टी |
उम्मीदवार |
कुल वोट |
आम आदमी पार्टी |
अरविंद केजरीवाल |
57,213 |
भाजपा |
नुपूर शर्मा |
25,630 |
कांग्रेस |
किरण वालिया |
4,781 |
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 14,3,708 है, इनमें सबसे ज्यादा 14.95 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति के हैं। इस बार देखना है कि क्या पांच साल के कामों के आधार पर चुनाव लड़ रहे केजरीवाल सफल हो पाते हैं, या भाजपा और कांग्रेस की रणनीति उन्हें जीत दिलाती है।