देश के सबसे अमीर और सेलेब्रिटीज गणपति के रुप में प्रसिद्ध मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में दिल्ली के एक भक्त ने 35 किलोग्राम सोना चढ़ाया है। वर्तमान रेट के हिसाब से इसकी कीमत तकरीबन 14 करोड़ के आसपास है। हालांकि, मंदिर को इतना सोना दान करने वाले शख्स की पहचान गुप्त रखी गई है।
दरवाजे और छत पर चढ़ाई गई सोने की परत
सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आदेश बांदेकर ने 35 किलो सोना दान में मिलने की खबर की पुष्टि की है। उनके मुताबिक, दिल्ली के रहने वाले एक शख्स ने पिछले सप्ताह यह दान दिया है। इसका इस्तेमाल मंदिर के दरवाजे और छत बनाने में किया गया। सोने की परत चढ़ाने का कार्य जनवरी 15 से 19 के बीच पूरा हो गया है। इस दौरान मंदिर को वार्षिक निर्धारित कार्यक्रम के लिए बंद किया गया था। हर साल इस दौरान बप्पा की प्रतिमा को केसरिया रंग में रंगा जाता है और प्राण प्रतिष्ठा करवाई जाती है।
पिछले साल मंदिर को मिला 410 करोड़ का दान
बता दें कि 2017 तक मंदिर को 320 करोड़ रुपये का दान मिला था। जिसका उपयोग सामाजिक कार्यों में किया गया था। यह दान राशि 2019 में बढ़कर 410 करोड़ रुपये हो गई है। बांदेकर ने कहा, ‘इस फंड के जरिए हम ऐसे लोगों की मदद करना जारी रखेंगे जो मंदिर का दरवाजा खटखटाते हैं। हमने अब तक 20,000 लोगों की मदद की है जिन्हें 25,000 रुपये तक की मदद मिली है। इसपर हम अब तक 38 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं।’
119 साल पहले बना था ये सिद्धिविनायक मंदिर
- सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर, 1801 में हुआ था। इस मंदिर का मुख्य हिस्सा सिर्फ 3.6 वर्ग मीटर में स्थित है। इसकी दीवारें 450 मीमी चौड़ी हैं। यह मंदिर मुंबई के प्रभादेवी क्षेत्र में काका साहेब गाडगिल मार्ग और एसके बोले मार्ग पर स्थित है। सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण एक ठेकेदार लक्ष्मण विठू पाटिल ने किया था।लक्ष्मण विठू को मंदिर के निर्माण के लिए धन एक अमीर मराठी दानवीर महिला देऊबाई पाटिल ने दिया था।
- देऊबाई माटुंगा नि:संतान थी। एक दिन गणपति की पूजा करते समय उनके मन में आया कि क्यों न ऐसे मंदिर का निर्माण करवाया जाए जहां भगवान से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लिया जा सके। इसी विचार के बाद उन्होंने इस मंदिर के लिए धन दिया।
- यह मंदिर ‘नवसाचा गणपति’ के नाम से भी प्रसिद्ध है। मराठी भाषा में इसे ‘नवसाला पवानारा गणपति’ भी कहते हैं। सिद्धिविनायक की पाषाण प्रतिमा एक खास तरह की आकृति में बनी हुई है, जो शायद ही कहीं और मौजूद हो। इसकी ऊंचाई 2 फीट 6 इंच और चौड़ाई 2 फीट है।
- मंदिर के गर्भगृह में मौजूद मूर्ति जरा सी दाहिनी तरफ झुकी हुई है भगवान गणपति की चारों भुजाओं में अलग-अलग वस्तुएं हैं। एक हाथ में कमल का फूल, दूसरे में कुल्हाड़ी, तीसरे में जपमाला और चौथे में मोदक-लड्डू से भरा एक कटोरा। बाएं कंधे पर एक सांप भी है, जो आमतौर पर श्रीगणेश प्रतिमा पर नहीं होता है।
- सिद्धिविनायक मंदिर के पुजारी श्री रामदास के बनवाए मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति विराजमान है। इसका निर्माण साल 1952 में हुआ था। जो भक्त सिद्धिविनायक के दर्शन करने आते हैं, वे हनुमान मंदिर में भी जरूर जाते हैं।
- श्री सिद्धिविनायक का नया मंदिर संगमरमर की एक बहुकोणीय संरचना है जिस पर सोना चढ़ा कलश स्थापित है। मुख्य केन्द्रीय कलश को गणेश प्रतिमा के ठीक ऊपर मंदिर के शिखर पर स्थापित किया गया है। सोना चढ़े इस कलश का वजन 1500 किलोग्राम है
- मंदिर में अन्य चढ़ावों के रूप में सोने की छड़ों और आभूषणों सहित भारी मात्रा में सोना अर्पित किया जाता है। सरकार की स्वर्ण मौद्रिकरण योजना (जीएमएस) में भाग लेने वाला पहला मंदिर बना था। मंदिर का अपना डीमैट अकाउंट भी है, ताकि श्रद्धालु शेयर, म्यूचल फंड्स, बांड्स आदि भी दान दे सकें।