Jammu And Kashmir : महबूबा का बढ़ा संकट, छह और नेताओं ने छोड़ी पार्टी

श्रीनगर।  कश्मीर में तीसरे मोर्चे की संभावनाओं के बीच पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का संकट बढ़ रहा है। पार्टी के नौ वरिष्ठ नेताओं के निष्कासन के एक ही दिन बाद पूर्व विधायक यावर मीर और पांच अन्य नेताओं ने पीडीपी छोड़ने का एलान कर दिया। इस्तीफे और निष्कासन के इस सिलसिले से साफ है कि महबूबा मुफ्ती को किनारे कर पार्टी के बड़े नेता नई परिस्थितियों में आगे बढ़ने को तैयार हैं।

खास बात है कि दो दिन पहले पार्टी के कई पूर्व विधायकों ने महबूबा के एजेंडे से किनारा कर 370 के बाद के हालात में आगे बढ़ने का एलान कर दिया। यह नेता उपराज्यपाल जीसी मुर्मु से भी मिले और जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे और विकास की मांग उठाई। बृहस्पतिवार को कई बड़े नेताओं ने विदेशी राजनयिकों से मुलाकात कर हालात सामान्य होने का दावा किया।

उधर पीडीपी के संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग ने सीधा महबूबा को निशाने पर ले लिया और प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की खुलकर तारीफ की। साफ है कि महबूबा के लिए सब ठीक नहीं है।इस पर पीडीपी ने आठ पूर्व विधायकों दिलावर मीर, नूर मोहम्मद शेख, अब्दुल रहीम राथर, रफी अहमद मीर, अब्दुल मजीद पाडर, जावेद हसन बेग, राजा मंजूर, चौधरी कमर हुसैन और एक पूर्व एमएलसी जफर मनहास को पार्टी से निष्कासित कर दिया। दिलावर मीर पीडीपी के संस्थापक सदस्यों में एक हैं और वर्ष 2002 में मुफ्ती सरकार में मंत्री थे। महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि पार्टी बेग पर कार्रवाई का साहस नहीं जुटा पाई।इसके बाद शुक्रवार सुबह पूर्व विधायक यावर मीर ने निष्कासन पर एतराज जताते हुए इस्तीफे का एलान कर दिया। यावर मीर दिलावर मीर के पुत्र हैं। यावर मीर ने कहा कि मैंने अपना इस्तीफा पार्टी को भेज दिया है।

इन नेताओं ने भी दिया इस्तीफा

यावर मीर के इस्तीफे के कुछ ही देर बाद पीडीपी की युवा इकाई के नेता शौकत गयूर अंद्राबी, नजीर अहमद खान, डॉ. समी उल्लाह, मुंतजिर मोहिउद्दीन और शाह मोहम्मद तांत्रे ने भी इस्तीफा दे दिया है। अलबत्ता, इन लोगों के इस्तीफे की पुष्टि नहीं हुई है।यूं तो खत्म हो जाएगी पार्टीनिष्कासन और इस्तीफों के दौर के बाद पीडीपी कैडर में भी है। पीडीपी से जुड़े सिख समुदाय के युवा नेता ने कहा कि जिस तरीके से यहां वरिष्ठ नेताओं को निकाला जा रहा है उससे तो यह पार्टी समाप्त हो जाएगी। किसी को भी निष्कासित करने से पूर्व नोटिस दिया जाता है, लेकिन लगता है कुछ लोग पीडीपी को समाप्त करने पर तुले हैं।

पीडीपी में कुछ लोगों को कश्मीरी अवाम और संगठन की ¨चता नहीं हैं। वह पीडीपी को लोकतांत्रिक तरीके से आम कश्मीरी अवाम की उम्मीदों को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए चलाना चाहते हैं।यावर मीर, पूर्व पीडीपी विधायक–हमें तो यही नहीं पता कि हमारा निष्कासन किसके निर्देश पर हुआ है। अगर हमने अनुशासन तोड़ा है तो पार्टी की अनुशासनात्मक समिति पूरे मामले पर गौर करती, फिर अपनी सिफारिश पार्टी अध्यक्ष को सौंपती। हमारे मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। हमें लगता है कि हमारे कुछ साथी संगठन पर कब्जा करना चाहते हैं। इन्हीं लोगों के कारण तारिक हमीद करा, अल्ताफ बुखारी, इमरान अंसारी ने पार्टी छोड़ी है।-रफी अहमद मीर, पूर्व विधायक एवं पीडीपी से निष्कासित नेता

मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी तो पार्टी अध्यक्ष की नीतियों के खिलाफ बोला है, उन्होंने भी स्टेटहुड की मांग की है। उनके खिलाफ कोई नहीं बोला। वह पार्टी संरक्षक हैं, क्या हमारे निष्कासन पर उनसे सहमति ली गई है।-अब्दुल मजीद पाडर, पूर्व विधायक एवं पीडीपी से निष्कासित नेता

इस तरह पक रही सियासी खिचड़ी

सियासत पर नजर रखने वालों की मानें तो पीडीपी में विभाजन और तीसरे मोर्चे की स्थापना को अब रोकना मुश्किल है। दिलावर मीर और यावर मीर के समर्थक अल्ताफ बुखारी के साथ ही जाएंगे। अल्ताफ बुखारी और दिलावर मीर रिश्तेदार हैं। इसके अलावा पार्टी से निष्कासित नेता पहले भी कई बार महबूबा मुफ्ती और उनकी किचन कैबिनेट के खिलाफ रोष जता चुके हैं। यह लोग पीडीपी संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग के भी करीबी हैं। सभी जानते हैं कि महबूबा ने किन हालात में बेग को पार्टी संरक्षक बनाया है। इसलिए अगर पीडीपी में कुछ नेता पार्टी में बेग को आगे कर सकते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो डेढ़ माह में आप जम्मू कश्मीर के सियासी मंच पर एक नए राजनीतिक संगठन को देखेंगे, जिसमें पीडीपी के बागी नेताओं की भरमार होगी।

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