लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में चादर ट्रैक पर माइनस तीस डिग्री तापमान के बीच लापता हुए 41 लोगों के दो दलों को प्रशासन ने रविवार को रेस्क्यू कर लिया। इन्हें फिलहाल नेरक गांव में ठहराया है। इन्हें अगले दो दिनों में लेह पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। जंस्कार नदी का जलस्तर बढ़ जाने के कारण अगले दो दिन के लिए चादर ट्रैक पर जाने की रोक लगा दी गई है।
जानकारी के अनुसार, विश्व के सबसे जोखिम भरे ट्रैक पर गए दो दल के 41 लोग शनिवार को अपने अगले कैंप पर नहीं पहुंचे। इनमें नेरक झरने से लौट रहा ट्रैकर्स का एक दल और टिब्ब गुफा से नेरक की ओर रवाना हुआ दल शामिल था। पंद्रह लोगों का एक दल जहां शुक्रवार को लापता हो गया तो वहीं दूसरे दल का शनिवार को कोई अता पता नहीं था।
रविवार को लेह प्रशासन को जानकारी मिलते ही रेस्कयू आपरेशन शुरू किया गया। एसडीआरएफ के साथ साथ वन्यजीव विभाग की टीम और लेह पर्वतारोही गाइड एसोसिएशन के लोग ट्रैक पर रवाना हो गए। रेस्कयू दल ने पाया कि कई जगह बर्फ पिघलने से जंस्कार नदी का जलस्तर बढ़ चुका था जिसके चलते नदी का पानी बर्फ की सतह से उपर बह रहा था। रेस्कयू टीम रविवार को उस इलाके तक पहुंची जहां दोनों लापता दल के लोगों को एक साथ खोज लिया गया।
जिला मजिस्ट्रेट लेह सचिव कुमार वैश्य ने बताया कि दोनों दलों के 41 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। ट्रैकर्स अगले दो दिन में लेह पहुंचाए जाने को लेकर भी काम शुरू कर दिया गया है।
जिंदगी मौत के बीच घंटों जूझता रहा टैकर्स का एक दल
नेरक झरने से लौट रहे टैकर्स का दल शुक्रवार को टिब्ब गुफा तक नहीं पहुंच पाया। हालात ऐसे थे कि अंधेरा ढ़लने के बाद जहां तापमान लगातार गिरता जा रहा था वहीं दल के सदस्यों के पास खुले में रात गुजारने के अलावा कोई भी रास्ता नहीं बचा था जो जिंदगी और मौत के बीच जूझने से कम नहीं था।
बर्फ की नदी के ऊपर बह रहा था पानी
जमी हुई जिस जंस्कार नदी पर ट्रैकिंग के लिए दल के यह सदस्य निकले थे वो जमी हुई तो थी लेकिन धूप खिलने से पहाड़ों पर बर्फ पिघलती गई और नदी का जलस्तर इस कदर बढ़ गया कि पानी जमी हुई बर्फ के उपर से बहना शुरू हो गया। ऐसे में नदी पर पांव रखना मतलब मौत को दावत देने जैसा था। दल के सदस्य नेरक और टिब्ब गुफा के बीच ही रूके रहे।
आठ जनवरी को रवाना हुआ था दल
वन्यजीव विभाग लेह के वार्डन पंकज रैना ने बताया कि पहले दल के पंद्रह लोग दो दिन पहले लापता हो चुके थे दूसरे दल के लोग शनिवार को लापता हुए थे। ट्रैकर्स का दूसरा दल जो आठ जनवरी को लेह से रवाना किया गया था।