केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हो रही है जिसमें राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) में अपडेट के लिए धन आवंटन के प्रस्ताव पर फैसला हो सकता है। एनपीआर अपडेट करने की प्रक्रिया अगले साल पहली अप्रैल से शुरू होने वाली है।
सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट की बैठक के लिए तय एजेंडे में एनपीआर को लेकर प्रस्ताव भी शामिल है। एनपीआर में देश के ‘सामान्य नागरिकों’ की गणना की जाती है। एनपीआर के लिए ‘सामान्य नागरिकों’ से मतलब उस व्यक्ति से है, जो किसी स्थानीय क्षेत्र में पिछले छह महीने या उससे अधिक समय से रह रहा हो या अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक उस क्षेत्र में रहने की उसकी योजना हो।
आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए अंतिम बार साल 2010 में आंकड़े जुटाए गए थे। जब 2011 के लिए जनगणना (Census 2011) की जा रही थी। इन आंकड़ों को फिर साल 2015 में अपडेट किया गया था। इसके लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण हुए थे। उन आंकड़ों को डिजिटल करने की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। अब सरकार ने ये फैसला लिया है कि 2021 जनगणना (Census 2021) के दौरान असम को छोड़कर अन्य सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के लिए इन आंकड़ों को फिर से अपडेट किया जाएगा। इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा एक राजपत्रित अधिसूचना पहले ही प्रकाशित की जा चुकी है।
क्यों जरूरी है एनपीआर
हर निवासी को क्या जानकारियां देनी होंगी
- व्यक्ति का नाम
- घर के मुखिया से रिश्ता
- पिता का नाम
- मां का नाम
- पति / पत्नी का नाम
- लिंग
- जन्मतिथि
- शादी हुई या नहीं
- जन्मस्थान
- राष्ट्रीयता (जो घोषित किया हो)
- वर्तमान पता जहां रह रहे हों
- वर्तमान पते पर निवास का समय
- स्थायी आवासीय पता
- पेशा
- शैक्षणिक योग्यता