भोपाल | छतरपुर जिले के बक्सवाह में देश की सबसे बड़ी हीरा खदान एस्सेल माइनिंग (बिड़ला समूह) समूह को 50 साल के लिए मिल गई है। एक दिन पहले मंगलवार को 8 घंटे तक चली बिडिंग में चेंदीपदा कालरी (अडाणी ग्रुप) और एस्सेल माइनिंग (बिड़ला समूह) के बीच रस्साकसी चलती रही। खदान की ऑफसेट प्राइस 55 हजार करोड़ रुपए थी, जिसमें 41.55% ज्यादा यानी करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक राॅयल्टी की बोली लगी। अडाणी समूह ने हीरा खदान आधा प्रतिशत से छोड़ दी। वहीं बिडिंग में बिड़ला समूह ने 30.05% की बोली लगाकर खदान अपने नाम कर ली। इस खदान से सरकार को 50 साल में राॅयल्टी के 22,852 करोड़ रुपए मिलेंगे यानी हर साल 457 करोड़ रुपए की राॅयल्टी मिलेगी।
कंपनियों के लिए तय थे ये मापदंड
देश की सबसे बड़ी खदानी के लिए नीलामी में भाग लेने के लिए भारत सरकार के नियमानुसार लगभग 56 करोड़ रुपए की सुरक्षा निधि जमा कराई जानी थी। इसके लिए आवेदन कंपनी की नेटवर्थ कम से कम 1100 करोड़ रुपए होना आवश्यक था।
देश की सबसे बड़ी हीरा खदान
बक्सवाह में 362 हेक्टेयर में फैली बंदर हीरा खदान में 3.50 करोड़ कैरेट हीरे होने का अनुमान है। 55 हजार करोड़ की यह खदान रियो टिंटो कंपनी ने 2015-16 में छोड़ी थी।