दिल्ली / साेनिया की नाराजगी के बाद नागरिकता बिल पर शिवसेना का यू-टर्न, जदयू में विरोध के सुर|

नई दिल्ली . नागरिकता (संशाेधन) बिल, 2019 बुधवार काे राज्यसभा में पेश हाेगा। सरकार ने साेमवार रात लाेकसभा में इसे आसानी से पारित करवा लिया था, लेकिन राज्यसभा की राह उतनी आसान नहीं दिख रही। लाेकसभा में समर्थन करने वाली शिवसेनाऔर जनता दल (यूनाइटेड) का राज्यसभा में क्या रुख रहेगा, यह अभी साफ नहीं है। शिवसेना द्वारा बिल काे समर्थन देने पर कांग्रेस अध्यक्ष साेनिया गांधी ने मंगलवार काे पार्टी नेतृत्व से नाराजगी जताई। इसके बाद शिवसेना के सुर बदल गए। पार्टी प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि लाेकसभा में पूछे सवालाें का जवाब मिलने तक राज्यसभा में बिल का समर्थन नहीं करेंगे। साथ ही शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी कहा कि लोकसभा में जाे हुआ, उसे भूल जाइए। दूसरी तरफ, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू में भी बिल के समर्थन पर विरोध के सुर उठने लगे हैं।

पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशाेर और महासचिव पवन के वर्मा ने बिल काे असंवैधानिक बताते हुए नीतीश से पार्टी के रुख पर दाेबारा विचार का अाग्रह किया। इन दाेनाें दलाें का रुख बदलने की सूरत में भाजपा के फ्लाेर मैनेजराें काे राज्यसभा में बिल पारित करवाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। हालांकि, भाजपा सूत्र राज्यसभा में बिल पारित हाेने के प्रति आस्वस्त दिखे।

असर:दाेनाें दलाें का रुख पलटा ताे सरकार काे कम से कम 2 अाैर सांसदाें का समर्थन जुटाना पड़ेगा

राज्यसभा में अभी 240 सदस्य हैं। सभी सदस्य माैजूद रहें ताे बिल पारित करवाने के लिए 121 सदस्याें का समर्थन जरूरी है। लाेकसभा जैसे समीकरण रहे ताे सरकार के पास 128 सदस्याें का समर्थन हाेगा, जाे जरूरी संख्या से 7 ज्यादा है। हालांकि, जदयू के 6 अाैर शिवसेना के 3 सदस्य बिल के विराेध में जाते हैं ताे सरकार काे दाे सदस्याें का समर्थन जुटाना पड़ेगा। अगर यह दाेनाें दल मतदान से अलग रहें ताे भी सरकार काे काेई दिक्कत नहीं हाेगी। भाजपा सूत्राें ने राज्यसभा में 124 से 130 तक सदस्याें का समर्थन मिलने का भराेसा जताया है।

इधर, अमेरिकी आयोग बाेला-

यह बिल गलत दिशा में खतरनाक कदम, शाह पर पाबंदी लगाएं
वॉशिंगटन | अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी ने लोकसभा से पारित नागरिकता (संशोधन) बिल काे गलत दिशा में खतरनाक कदम बताया है। आयोग ने कहा है कि संसद से बिल पारित हाेने पर ट्रम्प प्रशासन भारतीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेताओ पर प्रतिबंध लगाए। अायाेग ने कहा कि यह बिल आप्रवासियों काे नागरिकता देने का रास्ता खाेलता है, लेकिन इसमें मुस्लिमाें का जिक्र नहीं है। इसमें नागरिकता का मानदंड धर्म है। यह भारत के धर्मनिरपेक्ष बहुलवाद के समृद्ध इतिहास और भारतीय संविधान का विरोधाभासी है। आयोग ने एनअारसी पर चिंता जताते हुए कहा- हमें अाशंका है कि भारत सरकार भारतीय नागरिकता के लिए धार्मिक परीक्षण के हालात पैदा कर रही है, जिससे लाखों मुस्लिमों की नागरिकता पर संकट पैदा हो सकता है। इसी अायाेग ने गुजरात दंगाें के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र माेदी काे वीसा नहीं देने की सिफारिश की थी।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बाेले- यह बिल द्विपक्षीय समझाैताें का उल्लंघन

नागरिकता बिल लाेकसभा में पारित हाेने पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भी बाैखलाहट में हैं। इसकी निंदा करते हुए इमरान ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकाराें और भारत-पाक के बीच द्विपक्षीय समझाैताें का उल्लंघन है। माेदी सरकार काे फासीवादी बताते हुए इमरान ने अाराेप लगाया कि यह अारएसएस के हिंदू राष्ट्र का हिस्सा है।

भारत का जवाब- अमेरिकी काे न ताे पूरी जानकारी, न ही दखल का अधिकार

अमेरिकी की टिप्पणी पर भारत सरकार ने कहा है कि यह सटीक नहीं है। उसने इसे पूर्वाग्रह के नजरिये से देखा है। उसे इस मामले में दखल देने का काेई अधिकार नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि अमेरिकी अायाेग का बयान ना ताे जरूरी था और ना ही सटीक है। उन्हाेंने कहा कि नागरिकता (संशाेधन) बिल और भारत के किसी भी धर्म के नागरिक की नागरिकता नहीं छीन रहे। का रिकाॅर्ड देखते हुए उसकी टिप्पणी ज्यादा नहीं चाैंकाती। खेदजनक है कि इस ने इस मामले में बहुत कम जानकारी हाेने के बावजूद इसे सिर्फ अपने पूर्वाग्रह के नजरिये से देखा।

1600 वैज्ञानिक और कलाकार बिल के विराेध में

{नागरिकता संशाेधन बिल वापस लेने की मांग की याचिका पर एक हजार से ज्यादा वैज्ञानिकाें और आयोग स्काॅलर्स ने दस्तखत किए हैं।

{600 कलाकाराें, लेखकाें, पूर्व जजाें और र नाैकरशाहाें ने भी सरकार से यह बिल वापस लेने की मांग की है। राेमिला थापर, नंदिता दास, याेगेंद्र यादव, तीस्ता सीतलवाड़ सरीखे लाेगाें ने इस बिल काे विभाजनकारी बताया है।

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