हरियाणा की ‘मॉडर्न, नागरिक–अनुकूल’ रजिस्ट्री प्रणाली में गड़बड़ियाँ, लोगों को हो रही परेशानियाँ

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार द्वारा 1 नवंबर को राज्यभर में शुरू की गई पूरी तरह पेपरलेस प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन प्रणाली ने शुरुआत में ही कई तकनीकी चुनौतियों को जन्म दे दिया है। ‘आधुनिक, पूरी तरह पेपरलेस और नागरिक-अनुकूल’ बताए गए इस सिस्टम में लगातार आ रहीं खामियों के कारण कई तहसीलों में कामकाज धीमा पड़ गया है। स्थिति यह है कि पंचकूला जिले की एक तहसील में 12 दिनों में केवल 16 रजिस्ट्री ही हो पाई, जबकि पहले औसतन 20–22 रजिस्ट्रियाँ प्रतिदिन होती थीं।

इन दिक्कतों को देखते हुए राजस्व विभाग की वित्त आयुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा ने गुरुवार को सभी उपायुक्तों के साथ बैठक कर निर्देश दिए कि प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए और तकनीकी समस्याओं का जल्द समाधान किया जाए, ताकि ऑनलाइन रजिस्ट्री सुचारू रूप से चल सके।


‘ऐतिहासिक बदलाव’ के दावों के बीच नागरिक परेशान

हरियाणा दिवस पर लागू किए गए इस पेपरलेस रजिस्ट्री मॉडल को सरकार ने 58 साल पुराने मैनुअल सिस्टम से ‘ऐतिहासिक छलांग’ बताया था। दावा था कि नागरिक कहीं से भी अपनी प्रॉपर्टी डीड रजिस्टर कर सकेंगे और भुगतान, सत्यापन व अनुमोदन पूरी तरह ऑनलाइन होंगे। परन्तु लॉन्च के लगभग दो सप्ताह बाद ही अनेक नागरिक और एजेंट तकनीकी खामियों के कारण परेशानी उठा रहे हैं।

पंचकूला में एक किसान और एक अन्य ग्रामीण के बीच हुई रजिस्ट्री में दस्तावेज़ अपलोड करने में चार दिन लग गए। संबंधित व्यक्ति ने बताया, “हम सुबह से बैठे थे, लेकिन पोर्टल करीब दोपहर 1 बजे ही चल पाया। सभी दस्तावेज़ों को प्रिंट कर PDF बनाकर अपलोड करना पड़ता है, जिससे समय बढ़ जाता है।”

चंडीमंदिर निवासी जयपाल सिंह ने बताया कि वे अपनी कृषि भूमि बेचना चाहते थे, लेकिन उनकी जमीन का रिकॉर्ड अभी पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण प्रक्रिया अटक गई।


पोर्टल पर असंगतियाँ: माप-तौल, अनुमति और रिकॉर्ड को लेकर शिकायतें

दस्तावेज़ तैयार करने वाले एजेंटों का कहना है कि समूह आवासीय सोसाइटी की रजिस्ट्रियों में पोर्टल HSVP (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) का ID मांगता है, जो आम नागरिकों के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं होता। इसके अलावा माप-तौल में भी असमानता है—HSVP गज (square yards) में मापता है जबकि शहरी निकाय वर्गमीटर (square metres) का उपयोग करते हैं।

लीज़ डीड रजिस्ट्रेशन में पोर्टल HSVP से अनुमति मांगता है, जबकि ऐसा कोई नियम मौजूद नहीं है। जहाँ भूमि का पुनर्गठन नहीं हुआ है, वहाँ बीघा और बिस्वा जैसे पारंपरिक मापदंड पोर्टल पहचान ही नहीं पाता।

एक अन्य एजेंट ने कहा कि गैर-मुमकिन (अकृषि योग्य) भूमि को पोर्टल व्यावसायिक भूमि की श्रेणी में दिखा देता है, जिससे अनावश्यक शुल्क बन जाता है। कभी-कभी तो पोर्टल संबंधित तहसील की जगह किसी दूसरी तहसील का गांव चुन लेता है।


सरकार का दावा—सिस्टम धीरे-धीरे स्थिर हो रहा

पंचकूला के एक राजस्व अधिकारी ने स्वीकार किया कि “नई प्रणाली में शुरुआती तकनीकी दिक्कतें आती हैं, पर उन्हें हल किया जा रहा है। रजिस्ट्री की संख्या भी बढ़ने लगी है—मंगलवार को एक दिन में सात रजिस्ट्री पूरी हुईं। लोगों की सहायता के लिए एक हेल्प डेस्क भी लगाया गया है।”

डीड राइटर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप शर्मा ने सुझाव दिया कि सरकार पाँच सदस्यों की एक समिति गठित करे, जिसमें विभाग और एसोसिएशन दोनों के प्रतिनिधि हों, ताकि नई प्रणाली को बेहतर बनाया जा सके।


राज्य स्तर पर हेल्पलाइन और नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश

गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वित्त आयुक्त मिश्रा ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिए कि प्रत्येक तहसील में समर्पित हेल्प डेस्क स्थापित किए जाएँ और नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाए, जिनकी संपर्क जानकारी सार्वजनिक हो। नागरिकों की सहायता के लिए राज्य-स्तरीय हेल्पलाइन शुरू करने के भी आदेश दिए गए।

उन्होंने बताया कि सभी दस्तावेज़ अब स्वतः 72 घंटे तक सुरक्षित रहेंगे ताकि किसी भी गड़बड़ी से डेटा नष्ट न हो। रजिस्ट्री शुल्क भी पूरी प्रक्रिया के दौरान वैध रहेगा।


12 दिनों का प्रदर्शन: आवेदन और अनुमोदन में तेज़ बढ़ोतरी

समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार 1–12 नवंबर के बीच राज्य में कुल 5,334 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 2,110 डीड मंज़ूर की गईं। 915 आवेदन प्रक्रिया में हैं, 611 सब-रजिस्टारों द्वारा अनुमोदित किए गए हैं, जबकि 626 आवेदन दस्तावेज़ीय या तकनीकी त्रुटियों के कारण अस्वीकृत हुए।

पिछले समीक्षा अवधि (29 सितंबर–31 अक्टूबर) में केवल 1,662 आवेदन और 1,074 मंज़ूरी हुई थीं। इस तरह आवेदन और रजिस्ट्री दोनों की संख्या दोगुने से अधिक बढ़ी है, जो नए सिस्टम को अपनाने की तेज़ रफ्तार को दर्शाती है।

जिन जिलों ने सर्वाधिक प्रदर्शन किया, उनमें कुरुक्षेत्र पहले स्थान पर रहा—810 आवेदन और 524 मंज़ूरी। इसके बाद महेंद्रगढ़ (428 आवेदन, 205 मंज़ूरी), करनाल (409 आवेदन, 208 मंज़ूरी) और जींद (384 आवेदन, 131 मंज़ूरी) रहे। फरीदाबाद, गुरुग्राम और यमुनानगर में भी steady वृद्धि देखी गई, जबकि सिरसा, चरखी दादरी और पानीपत में सुधार की उम्मीद जताई गई है।


निष्कर्ष:
सरकार द्वारा नई डिजिटल रजिस्ट्री प्रणाली को लेकर किए गए दावों के बावजूद नागरिक और कर्मचारी अभी भी कई तकनीकी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हालांकि विभाग का कहना है कि सिस्टम स्थिर हो रहा है और समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। आने वाले दिनों में यह देखा जाएगा कि क्या यह नया मॉडल वास्तव में नागरिक-अनुकूल साबित होता है या नहीं।

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