अयोध्या फैसला : दिल्ली में जमीन से आसमान तक पुलिस का पहरा, जानें पूरा मामला

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने राजधानी दिल्ली के कुछ हिस्सों में निगरानी के लिए शनिवार को ड्रोन का इस्तेमाल किया।

अधिकारियों ने बताया कि पूर्वोत्तर दिल्ली समेत शहर के कई हिस्सों में लोगों के साथ बैठक की गई और विभिन्न क्षेत्रों में गश्त के साथ साथ ड्रोन से निगरानी की गई। पुलिस ने बताया कि व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू की गई है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित स्थल पर शनिवार को अपने फैसले में राम मंदिर बनाए जाने का मार्ग प्रशस्त किया है और केंद्र सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया है। कोर्ट के फैसले के आलोक में दिल्ली पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने और सद्भाव कायम करने की अपील की है।

दिल्ली पुलिस की ओर से जारी परामर्श में कहा गया है कि शरारती तत्वों के खिलाफ अथवा उन लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करेगी जो शांति और व्यवस्था भंग करने या इस तरह की अन्य गतिविधि में शरीक होते हैं।

जामा मस्जिद के इर्द-गिर्द सुरक्षा बढ़ाई गई

जामा मस्जिद क्षेत्र और पुरानी दिल्ली के हिस्सों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इन क्षेत्रों में पुलिस बल बढ़ा दिया गया है। यहां दुकानें खुली तो हैं लेकिन हालात तनावपूर्ण हैं। किसी भी हालात से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस की वज्र वैन और पुलिसकर्मियों की दो बसें मस्जिद के बाहर ही खड़ी हैं। जामा मस्जिद के बाहर तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिसकर्मियों को सतर्क रहने को कहा गया है। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि अन्य दिनों के मुकाबले सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया।

रामलला को सौंपी गई विवादित जमीन

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने शनिवार को विवादित पूरी 2.77 एकड़ जमीन रामलला को दे दी। अयोध्या मामले पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने शनिवार को कहा कि इस बात के स्पष्ट सबूत हैं कि हिंदू मानते हैं कि भगवान राम विवादित स्थान पर पैदा हुए थे। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की रिपोर्ट में कही बात को मानते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था। विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था। कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा केवल प्रबंधन का है। सरकार ने अखाड़े की याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक योजना के तहत स्थापित न्यायालय को चाहिए कि वह उपासकों की आस्था और विश्वास में हस्तक्षेप करने से बचे। चीफ जस्टिस ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल विशेषता है और अदालत को संतुलन बनाए रखना चाहिए। अदालत ने माना कि मीर बाकी द्वारा निर्मित मस्जिद बाबर के आदेश से बनी थी और मस्जिद के अंदर 1949 में मूर्तियों को रखा गया था। उन्होंने यह बात खचाखच भरे अदालत कक्ष में अयोध्या भूमि विवाद का एकमत फैसला पढ़ते हुए कही। इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि फैसला सर्वसम्मति से लिया जाएगा।

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