नई दिल्ली। दिल्ली परिवहन निगम की बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है।
याचिकाकर्ता अजमा जैदी से मुख्य न्यायधीश डीएन पटेल और सी हरिशंकर की पीठ ने पूछा कि वह कैसे कह सकती हैं कि बसों में महिलाओं को मुफ्त में सफर का दिल्ली सरकार का फैसला असंवैधानिक है। वह कैसे कह सकती हैं कि इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जरुरी था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अगली सुनवाई पर इन सभी सवालों के जवाबों के साथ आने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।
सरकारी खजाने पर पड़ेगा वित्तीय बोझ
याचिकाकर्ता के वकील अनिल खावरे ने कोर्ट से कहा कि इससे सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ पड़ेगा। यह सेवा दिल्ली के कर दाताओं के पैसे से चल रही है। इसलिए दिल्ली सरकार की तरफ से 28 अक्टूबर को जारी किए गए अधिसूचना को रद किया जाए।
जरुरतमंदों को मिले रियायत
याचिकाकर्ता का कहना है कि डीटीसी बसों में मुफ्त यात्रा की बजाय जरुरतमंदों को रियायत देना चाहिए। चाहे वह समाज के किसी भी वर्ग का हो। जैदी का कहना है कि मुफ्त यात्रा में रियायत बुजुर्गों, नाबालिगों और गरीब तबकों को प्रदान किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि सरकार ने एक रिपोर्ट में कहा है कि इस योजना को लागू करने के लिए लगभग 200 करोड़ रुपये की वार्षिक सब्सिडी की आवश्यकता है।
बता दें कि भैया दूज के दिन से यानी 29 अक्टूबर से दिल्ली की डीटीसी और कलस्टर बसों में महिलाएं मुफ्त में सफर कर रही हैं। बसों में सफर करने वाली महिलाओं को पिंक रंग का टिकट दिया जा रहा है जोकि फ्री है।दिल्ली-एनसीआर में डीटीसी बसों में सफर करने वाली महिलाओं को इसका लाभ मिल रहा है। हालांकि विपक्षी दल इसे चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। क्योंकि दिल्ली में अगले साल जनवरी या फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं।