कोरोना महामारी प्रवासी मजदूरों पर कहर बनकर टूटी है। रोते-बिलखते, भूखे-प्यासे सिर पर बैग उठाए सैकड़ों मजदूर अब भी हरियाणा-पंजाब के बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। हरियाणा पुलिस उन्हें बसों में भर-भरकर वापस उनके ठिकानों पर छोड़ रही है तो पंजाब पुलिस न तो उन्हें हरियाणा आने से रोक रही और वापस आने वालों को लेने में भी आना-कानी कर रही है। ऐसे में सिर्फ जो पीस रहा है, वो प्रवासी मजदूरी है। फुटबॉल की तरह जिसका मन हो रहा है उन्हें उसी तरफ धकेल रहा है।
पंजाब बॉर्डर पर लुधियाना से पैदल आई महिला का कहना था कि वे जैसे-तैसे भूखे-प्यासे यहां तक पहुंचे हैं। मकान मालिक किराया मांगता है, खाने को राशन नहीं है। ऐसे में अपने घर नहीं जाएंगे तो क्या करेंगे। अब जैसे-तैसे बॉर्डर पहुंच गए हैं तो पुलिस जाने नहीं दे रही। वापस बसों में भरकर पंजाब छोड़ रही है। हम दिन-रात चलकर यहां पहुंचे थे। जैसे-तैसे अपने घर जाना है लेकिन ये जाने नहीं दे रहे। नहीं जाएंगे तो खाएंगे क्या?
यूपी के इटावा जा रही युवती का कहना था कि 5 दिन से हम पैदल चल रहे हैं। जब बॉर्डर पर पहुंचे तो मेडिकल जांच की बात कहकर हमें बसों में बैठाया गया और वापस छोड़ा जा रहा है। हम भूखे हैं, बस पैदल चले जा रहे हैं। फिर भी हमारे साथ ऐसा कर रहे हैं। पैसा है नहीं, मकान मालिक ने कमरा खाली करवा दिया। ये कह रहे हैं कि पैसे दो नहीं तो खाली कर दो। अब बॉर्डर से वापिस पंजाब भेज रहे हैं। हम क्या खाएंगे।
बॉर्डर पर तैनात अम्बाला पुलिस के इंस्पेक्टर अजीत सिंह का कहना है कि पैदल लोग सड़क पर चल रहे हैं। उन्हें बसों से वापस वहीं छोड़ा जा रहा है, जहां से वे आए हैं। इन्हें सरकार अपने आप बसों व ट्रेन के माध्यम से इनके घरों तक पहुंचाएगी।