नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करते-करते कांग्रेस और राकांपा आपस में ही भिड़ते नजर आ रहे हैं। आज ऐसी ही भिड़ंत राकांपा नेता जीतेंद्र आह्वाड एवं कांग्रेस नेता अशोक चह्वाण में होती दिखाई दी।
आपात काल को लेकर इंदिरा गांधी की आलोचना
महाराष्ट्र की शिवसेनानीत महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार में जीतेंद्र आह्वाड एवं अशोक चह्वाण दोनों मंत्री हैं। जीतेंद्र आह्वाड गुरुवार को बीड जनपद में सीएए के विरोध में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। वहां वह सीएए के विरोध में बोलते-बोलते पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आलोचना कर बैठे। उन्होंने कहा कि 1975 में जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश की तो कोई भी खुलकर उनके इस कदम का विरोध नहीं कर सका था। लेकिन अहमदाबाद एवं पटना से छात्र आंदोलन के रूप में उनका विरोध शुरू हुआ और जनता की ताकत के सामने इंदिरा गांधी को हारना पड़ा। आह्वाड ने आगे कहा कि जब भी कोई हिटलर जन्म लेता है तो वह बुद्धिजीवियों एवं छात्रों से डरता है, क्योंकि वे बागी होते हैं। यही कारण है कि आज जेएनयू एवं अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का अपमान बर्दाश्त नहीं
हालांकि जीतेंद्र आह्वाड अपने इस वक्तव्य के जरिए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन उनकी बात कांग्रेस को बुरी लगी। हालांकि बाद में आह्वाड ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया। उनकी बात का जवाब देते हुए महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार के ही सार्वजनिक निर्माण मंत्री अशोक चह्वाण ने कहा कि उनकी पार्टी के नेताओं का अपमान करनेवालों का उचित जवाब दिया जाएगा।
चह्वाण के अनुसार स्वर्गीय इंदिरा गांधी दुनिया में देश की एकता के लिए बलिदान देने के लिए जानी जाती हैं। चह्वाण के अनुसार जीतेंद्र आह्वाड ने अपने बयान पर सफाई दे दी है। लेकिन यदि कोई कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का अपमान करेगा, तो उसे उचित जवाब दिया जाएगा। बता दें कि कुछ दिन पहले ही शिवसेना नेता संजय राउत ने भी इंदिरा गांधी के संदर्भ में एक बयान दिया था कि वह अक्सर मुंबई के माफिया सरगना करीम लाला से मिलने आया करती थीं।