मगर, जिस संकल्प को लेकर वह निकले हैं। उसकी लड़ाई बेहद लंबी है और वह आखिरी दम तक यह लड़ाई जारी रखेंगे। इसके साथ ही उन्होंने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह एक प्रधानमंत्री कम इवेंट मैनेजर अधिक हैं।
कश्मीर में कब्रगाह जैसी शांति है। यूरोपियन संसद में इसकी चर्चा होती है तो वह इसे देश का आंतरिक मामला बता देते हैं। जबकि उसी संसद के एक दल को बुलाकर कश्मीर में घुमाया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत धन दौलत के लिए नहीं, बल्कि अपने प्रजातंत्र के लिए विश्व पटल पर जाना जाता है।
मगर, अब इस पहचान पर खतरा मंडरा रहा है। मोदी-शाह के फैसलों से विश्व पटल पर देश की छवि खराब हो रही है। उन्होंने दिल्ली चुनाव को लेकर कहा कि देश में हिंदू-मुस्लिम की राजनीति कर रही भाजपा की हार तय है। देश की जनता जब इस बात पर नहीं लड़ती तो वह पाकिस्तान का जिक्र छेड़ देते हैं।
पाक के पास खाने को नहीं है, वह युद्ध कहां से लड़ेगा। वहीं, बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सीएए का विरोध करते हुए कहा कि शरणार्थी की कोई जाति नहीं होती। धर्म के आधार पर बने इस कानून को सरकार को रद्द करना ही होगा।
इस दौरान पूर्व विधायक राकेश सिंह, सपा नेता मुजाहिद किदवई, अशोक यादव, अज्जू इसहाक, ख्वाजा जिबरान हसन, शहजाद अल्वी, शान मियां, डॉ. कृपाल सिंह, राकेश यादव, कबीर खान, अहमद सईद सिद्दीकी, रंजीत सिंह, डॉ. बदशाह खान, पूजा गौतम, करुणा देवी चौहान, समा खान, रेखा सिंह, आरती, इंदु यादव आदि सपाई मौजूद रहे।