भारतीय सेना के नए अध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे लद्दाख के सियाचिन के दौरे पर हैं। पदभार संभालने के बाद सेना प्रमुख नरवणे का यह पहला दौरा है। सियाचिन पहुंचकर उन्होंने युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही जवानों से मिलकर सुरक्षा मसलों पर जानकारी ली। इस दौरान सेना अध्यक्ष ने जवानों को नव वर्ष की शुभकामनाएं दीं। साथ ही उन्होंने कहा कि यहां आने का मेरा इरादा काफी पहले से था, लेकिन जनवरी के पहले सप्ताह में मौसम बहुत अच्छा नहीं था, इस कारण नहीं पहुंच सका। नरवणे ने कहा कि मुझे खुशी है कि सेना प्रमुख के रूप में यह मेरी पहली यात्रा है।
सेना अध्यक्ष ने कहा कि हम जानते हैं कि यहां हर इंसान बहुत कठिन स्थिति, दुर्गम इलाके और बर्फीले मौसम की चपेट में है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सैनिकों के प्रयास उन्हें हर संभव मदद दी जा सके। फिर चाहें वह खाद्य सामग्री हो या कपड़े।नए सेना प्रमुख के तौर पर पदभार संभालने के बाद जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने आतंकवाद को लेकर पड़ोसी देश पाकिस्तान को दो टूक शब्दों में कहा कि उसका यह पैंतरा अधिक दिनों तक नहीं चल सकता है। सेना प्रमुख ने कहा कि भारत के पास पाकिस्तान के उकसावे या उसके द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के किसी भी कृत्य का जवाब देने के लिए कई सारे विकल्प हैं। अगर पाकिस्तान आतंकवाद को नहीं रोकता है, तो हमारे पास एहतियातन आतंकी अड्डों पर हमला करने का अधिकार है।
जनरल नरवणे देश के 28वें सेना प्रमुख हैं। उन्होंने जनरल बिपिन रावत का स्थान लिया, जिन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया है। पद संभालने के बाद जनरल नरवणे कहा, ‘हमने राज्य प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्पित दंडात्मक जवाब की रणनीति बनाई है। पाकिस्तानी सेना की राज्य प्रायोजित आतंकवाद से ध्यान हटाने की सारी कोशिशें नाकाम हो गई हैं।
भारत द्वारा आतंकवादियों के सफाए और आतंकी नेटवर्क की तबाही के कारण पाकिस्तानी सेना के छद्म युद्ध की मंशा को झटका लगा है।’ सेना की ऑपरेशनल तैयारियों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरा मुख्य फोकस आर्मी को किसी क्षण किसी भी खतरे का सामना करने के लिए तैयार करना होगा। जहां तक हमारे पड़ोसी देश की बात है, वह आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के रूप में इस्तेमाल करते हुए भारत के खिलाफ छद्म युद्ध चला रहा है। फिर इससे इनकार करता है, लेकिन यह अधिक दिनों तक नहीं चल सकता।