टोक्यो ओलंपिक में जहां पहलवानों से ज्यादा से ज्यादा मेडल की उम्मीद हो रही है, वहीं तैयारियों के लिए शुरू हुए नेशनल कैंप में पहलवानों के खाने में कटौती कर दी गई है। वह कटौती भी कम नहीं है, बल्कि उनका खाना लगभग आधा कर दिया है।
जहां पहले नेशनल कैंप में पहलवानों के खाने पर रोजाना 690 रुपये खर्च होते थे, वहीं अब 345-400 रुपये तक खर्च किया जा रहा है। दूध से लेकर बादाम, चिकन, जूस सभी में कटौती हुई है तो पहले के मुकाबले अब खाने की क्वालिटी भी बिगड़ गई है। जिससे पहलवान से लेकर कोच तक ने आपत्ति जतानी शुरू कर दी है और इस मामले में साई के अधिकारियों से लेकर मंत्रालय तक में आपत्ति दर्ज कराई गई है।
सोनीपत के साई सेंटर में पुरुष पहलवानों व लखनऊ के साई सेंटर में महिला पहलवानों का नेशनल कैंप 20 दिसंबर से शुरू हुआ है। यह कैंप पहलवानों के सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कैंप एशियन चैंपियनशिप से लेकर ओलंपिक का टिकट कटाने को एशियन व वर्ल्ड क्वालीफाई चैंपियनशिप तक का रास्ता तय करेगा। इसके अलावा ओलंपिक के लिए नए दांवपेंच की तैयारियां करने के लिए भी यह नेशनल कैंप काफी अहम माना जा रहा है। लेकिन इस नेशनल कैंप में पहलवानों से लेकर कोच तक को बड़ा झटका लगा है।
पहलवानों के लिए भरपूर खुराक की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और इसलिए अन्य खेलों के खिलाड़ियों के मुकाबले पहलवानों पर नेशनल कैंप में खाने के लिए रोजाना सबसे ज्यादा 690 रुपये खर्च किए जाते थे। इसमें पहलवानों को अच्छा खाना मिलता था, लेकिन इस बार नेशनल कैंप में उनकी खुराक में बड़ी कटौती कर दी गई है जो 345-400 रुपये तक हो गई है। इससे पहलवानों को भरपूर खुराक नहीं मिल रही है और उनकी कैंप में प्रैक्टिस तक प्रभावित होने लगी है। जिसका बड़ा असर उनके प्रदर्शन पर पड़ सकता है।
बजरंग ने कहा खुद बना रहा खाना, विनेश ने जताई आपत्ति
भारत के स्टार पहलवान बजरंग पूनिया ने खाने की परेशानियों को देखते हुए खुद ही बनाना शुरू कर दिया है और वह अपनी जरूरत के अनुसार खाना खुद बनाकर खाते हैं। वहीं लखनऊ में कैंप में शामिल विनेश फौगाट समेत अन्य ने खाना कम मिलने के साथ ही क्वालिटी ठीक नहीं होने की बात कहते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। साई के अधिकारियों के साथ ही खेल मंत्रालय के अधिकारियों तक के पास यह आपत्ति दर्ज कराई गई है और इसे पहले की तरह करने के साथ ही सुधार को लेकर सोमवार तक का इंतजार किया जा रहा है। उसके बाद ही पहलवान व कोच आगे का कोई फैसला लेंगे।
दूध भी भरपूर नहीं तो चिकन, बादाम तक कम हुए
पहलवानों को अपने शरीर में ऊर्जा रखने के लिए दूध, चिकन व बादाम सबसे ज्यादा जरूरी होता है। लेकिन इनमें सबसे ज्यादा कटौती की गई है और दूध जहां पहले एक किलो तक मिलता था, वहीं उसे 250 ग्राम तक कर दिया गया है। चिकन, अंडे व बादाम भी कम कर दिए गए है और इस कारण ही पहलवानों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। पहलवानों को नेशनल कैंप का कोई फायदा नहीं होता दिख रहा है। वहीं कोच तक को जहां पहले खाने के लिए अलग से टेबल मिलती थी, वहीं अब उनको भी पहलवानों के साथ लाइन में लगाकर खाना दिया जा रहा है। इसको लेकर भी कोच में रोष हो गया है।
डायटीशियन के अनुसार मिल रहा खाना: डायरेक्टर
सोनीपत साई सेंटर की डायरेक्टर ललिता शर्मा ने कहा कि पहले पहलवान अपनी इच्छा के अनुसार खाना खाते थे। लेकिन अब हमने डायटीशियन को रखा है और उसके अनुसार ही खाना दिया जा रहा है। जिससे पहलवानों व कोच को बुरा लग रहा है। ऐसा नहीं है कि किसी को परेशान किया जा रहा है या खाने की क्वालिटी खराब है। यह पहलवानों की बेहतरी के लिए किया जा रहा है और अब उनको भी अन्य खेलों के खिलाड़ियों के बराबर खाना मिलने लगा है।