सूरत. पानेतर सामूहिक विवाह के दूसरे दिन सवाणी परिवार और लखाणी परिवार ने रविवार को 135 कन्याओं का कन्यादान किया। कन्या के शादी के बाद महेशभाई हर कन्या को संदेश भेजकर उनके हालचाल का समाचार लेते रहते हैं। कार्यक्रम शुरुआत कन्याओं की आरती के साथ हुई। जिसमें सभी अतिथियों और गणमान्यों से मोबाइल की लाइट चालू करा कर कन्याओं की आरती करवाई।
दूल्हे स्वयंसेवक के रूप में
रविवार को समारोह में एक दिन पहले वैवाहिक बंधन में बंधे दूल्हों ने स्वयंसेवक के रूप में सेवा करते नजर आए। महेश भाई सवाणी ने कहा कि मुझे सभी मंडप में जाने से एनर्जी मिलती है, इसलिए मैं थकता नहीं हूं। इस सामूहिक विवाह समारोह में अलग-अलग राज्य से कन्याएं शामिल हुई हैं। यह मेरे लिए गर्व की बात है। हमें जाति के मसले को दूर करना चाहिए। जब हमारा जन्म हो उस समय अपनी जाति न लिखाकर सभी को भारतीय लिखना चाहिए। इससे जात-पात का भेदभाव खत्म हो जाएगा। भेदभाव से हमने दुःख का निर्माण किया है। अगर इस दुःख से निकलना है तो हमें इन जातियों को दूर करना चाहिए। समारोह में अतिथि के रूप में बाबूभाई गोधाणी, बालूभाई राखोलिया, डॉ. रविंद्र भाई पटेल, डॉ. रश्मिकांत पटेल, डॉ. प्रफुलभाई पाटिल, नीलेशभाई, आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।
10 जोड़ियों को मलेशिया का टूर
सामूहिक विवाह समारोह में नेता, समाजसेवकों के साथ शहर के गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे। पुलिस कमिश्नर राजेंद्र ब्रह्मभट्ट ने कन्याओं का कन्यादान करने के बाद नवदंपतियों को उपहार भी दिए। विवाह में नववधुओं के बीच लकी ड्रॉ का कार्यक्रम रखा गया जिसमें जीतने वाली 10 जोड़ियों को सिंगापुर और मलेशिया का टूर कराया जाएगा। महेशभाई सवाणी ने कहा कि वे 125 से 150 विवाह करवाते थे। इसमें बाद में मोलानिया परिवार जुड़ा। जिनके सहयोग से 231 विवाह करवाए। जब फार्म बांटे गए तब सुबह 4 बजे से फॉर्म लेने के लिए कतारें लगी थी। उन्होंने 500 कन्याओं का फॉर्म भरवाया गया। फॉर्म भरने के बाद उनका दिमाग काम नहीं कर रहा था कि कैसे विवाह करवाया जाए। लेकिन जब किरण डायमंड के लखाणी परिवार ने उनका साथ दिया, तो वे तैयार हो गए।
एक जाति सिर्फ मानवता हो
महेश सवाणी ने कहा कि जाति सिर्फ दो ही हैं- स्त्री और पुरुष। जाति भी एक होनी चाहिए मानवता की। मैं हर सुबह अपनी कन्याओं को मैसेज करता हूं। जितने भी भगवान हैं उनके नाम से या वह जिस भगवान को मानती हो उससे वो मेरा मेसेज ग्रहण करें। मेरे लिए तो मेरी कन्याएं ही भगवान है। मैं हर कन्या के घर जाता हूं। पीपी सवाणी परिवार कन्याओं के कॉलेज का फीस का भुगतान करती है। पहले 100 कन्याओं की फीस जमा करते थे, आज 900 कन्याओं की फीस जमा करते हैं। उनका मानना है कि आप कन्याओं को कुछ मत दो, लेकिन अपना प्यार तो दो। समय बहरा है, अंधा नहीं, वह सब देखता है।